QS World Rankings: दुनिया के टॉप-200 में भारत के महज 3 इंस्टीट्यूट

दुनिया के टॉप इंस्टीट्यूट्स की साल 2021 के लिए रैंकिंग जारी की है.रैंकिंग मे भारतीय संस्थानों की रैंकिंग गिर गई है

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QS World Rankings: दुनिया के टॉप-200 में भारत के महज 3 इंस्टीट्यूट
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QS World Rankings: दुनिया के टॉप-200 में भारत के महज 3 इंस्टीट्यूट
(Photo: PTI)

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QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी ने दुनिया के टॉप इंस्टीट्यूट्स की साल 2021 के लिए रैंकिंग जारी की है. इस रैंकिंग मे भारतीय संस्थानों की रैंकिंग गिर गई है. टॉप-200 की लिस्ट में भारत के महज तीन संस्थान हैं- आईआईटी बॉम्बे, इंडियन इस्टीट्यूट ऑफ साइंस और आईआईटी दिल्ली.

आईआईटी बॉम्बे की भी रैंकिंग गिरी

आईआईटी बॉम्बे को 172 वां स्थान मिला है.पिछले साल यह 152वें स्थान पर था। आईआईटी बॉम्बे 2020 की तुलना में 20 पायदान नीचे आ गया है. वो भारतीय संस्थानों में सबसे ऊपर है. आईआईएससी बेंगलुरु को 185 वां और आईआईटी दिल्ली को 193वां स्थान हासिल हुआ है.

21 भारतीय हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स को टॉप 1000 इंस्टीट्यूट्स में जगह मिली है.क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग 2021 में दुनिया के टॉप 500 उच्च शिक्षा संस्थानों में से भारत से सिर्फ आठ संस्थानों को जगह मिली है.

  • आईआईटी मद्रास को 275वां स्थान
  • आईआईटी खड़गपुर को 314वां स्थान
  • आईआईटी कानपुर को 350वां स्थान
  • आईआईटी रूड़की को 383वां स्थान
  • आईआईटी गुवाहाटी को 470वां स्थान

हासिल हुआ है.

MIT लगातार पहले नंबर पर

बता दें कि इस साल क्यूएस वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग के लिए कुल 1029 यूनिवर्सिटीज की लिस्ट तैयार हुई. इसमें अमेरिका के मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने लगातार 9वें साल पहला स्थान हासिल किया है. अमेरिका की ही स्टैनफर्ड, हावर्ड और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी को दूसरा, तीसरा और चौथा स्थान मिला है. विश्व रैंकिंग में पांचवां स्थान पर यूके की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी को मिला है.

क्यों कम हुई रैंकिंग?

एजुकेशन एक्सपर्ट केवल कांडपाल के मुताबिक, "क्यूएस वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग विशिष्ट तथ्यों पर आधारित है. इन तथ्यों में उच्च शिक्षण संस्थानों का अकादमिक रेपुटेशन, एम्प्लायर रेपुटेशन, साइटेशन पर फैकल्टी, फैकल्टी- स्टूडेंट्स अनुपात, इंटरनेशनल फैकल्टी अनुपात और इंटरनेशनल स्टूडेंट्स अनुपात शामिल है."

शिक्षाविद् केवल कांडपाल ने कहा, "इन तथ्यों के आधार पर अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों के मुकाबले पिछड़ने पर अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग कम हो जाती है."

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