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पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद अंतर कलह से गुजर रही मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की कांग्रेस में और खींचतान बढ़ने के आसार बनने लगे हैं.
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा है, यह बात पार्टी का हर नेता और कार्यकर्ता स्वीकार रहा है। हर तरफ से अंदर खाने चुनावी नतीजों को लेकर मंथन और चिंतन पर जोर दिया जा रहा है।
कांग्रेस के लिए मध्य प्रदेश हमेशा से अहम रहा है, मगर आपसी खींचतान के कारण पार्टी को राज्य की सत्ता से हाथ धोना पड़ा है. इतना बड़ा नुकसान उठाने के बाद भी कांग्रेस में आपसी खींचतान थमने का नाम नहीं ले रही है. वर्तमान में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के पास दो जिम्मेदारियां हैं एक तो प्रदेश अध्यक्ष और दूसरा नेता प्रतिपक्ष.
कमलनाथ खुद भी एक पद छोड़ने का मन बना चुके हैं और अपनी राय से पार्टी हाईकमान को अवगत भी करा चुके हैं.
पांच राज्यों के चुनावी नतीजे आने के बाद कांग्रेस के अंदर ही उन ताकतों को बल मिला है जो कमलनाथ के खिलाफ मोर्चा लेने की कोशिश करते रहे हैं. अब तो कई नेता दबे स्वर में राज्य की सत्ता में कांग्रेस की वापसी के लिए कमलनाथ से एक पद वापस लेने के लिए मुहिम चलाने की मुहिम में जुड़ते नजर आ रहे हैं.
पार्टी सूत्रों की माने तो नेता प्रतिपक्ष के लिए कई दावेदार हैं और सभी इस पद पर काबिज होना भी चाह रहे हैं. इन स्थितियों में पार्टी के भीतर आपसी खींचतान और बढ़ने की संभावनाएं नजर आने लगी हैं. पिछले दिनों विधानसभा के बजट सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण का विधायक जीतू पटवारी बहिष्कार किए जाने के बाद पार्टी में आपसी टकराव सामने आ ही चुका है.
बीजेपी तो गाहे-बगाहे कमलनाथ को लेकर चुटकी भी लेती रहती है कमलनाथ के दिल्ली प्रवास पर बीजेपी के प्रवक्ता डॉ हितेश वाजपेई ने ट्वीट कर चुटकी ली है और कहा भी है, सदन से गए नाथ, कांग्रेस हो गई अनाथ.
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