Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019 खेलो इंडिया में लेह-लद्दाख की पहली एथलीट होंगी 2 युवा तीरंदाज  

खेलो इंडिया में लेह-लद्दाख की पहली एथलीट होंगी 2 युवा तीरंदाज  

अंडर17 टूर्नामेंट में वाल्ड कार्ड से प्रवेश पाने वाली ये दो लड़कियां इन खेलों में भाग लेने के लिए काफी उत्साहित हैं.

क्विंट हिंदी
न्यूज
Published:
तीरंदाज नुसरत रहमान और यासमीन बटूल शुक्रवार को जब यहां खेलो इंडिया यूथ गेम्स के क्वालीफाइंग राउंड में उतरेंगी
i
तीरंदाज नुसरत रहमान और यासमीन बटूल शुक्रवार को जब यहां खेलो इंडिया यूथ गेम्स के क्वालीफाइंग राउंड में उतरेंगी
फोटो: डेलीहंट 

advertisement

तीरंदाज नुसरत रहमान और यासमीन बटूल शुक्रवार को जब यहां खेलो इंडिया यूथ गेम्स के क्वालीफाइंग राउंड में उतरेंगी तो वे इन खेलों में हिस्सा लेने वाली केंद्र शासित प्रदेश लेह एवं लद्याख की पहली एथलीट बन जाएंगी. अंडर-17 टूर्नामेंट में वाल्ड कार्ड से प्रवेश पाने वाली ये दो लड़कियां इन खेलों में भाग लेने के लिए काफी उत्साहित हैं. दोनों तीरंदाज उस समय और ज्यादा खुश हो गईं जब उन्हें पता चला कि वे विशेष विमान से नई दिल्ली से अन्य खिलाड़ियों के साथ खेलो इंडिया में भाग लेने के लिए गुवाहाटी जाएंगी.

“यहां होना ही मेरे लिए काफी प्रेरणादायक है. दूसरे तीरंदाजों के पास जिस तरह के उपकरण हैं, उन्हें देखकर हमें भी काफी आत्मविश्वास मिलता है. कड़ी मेहनत हमें यहां लेकर आई और ज्यादा मेहनत करने से हम बेहतर होंगी. यहां आना हमें खेल समुदाय में शामिल करता है, लेकिन हमारी राह दूसरी है.”
नुसरत

नुसरत और यासमीन लेह एवं लद्याख की सात सदस्यीय छोटी सी टीम का हिस्सा हैं. उनके अलावा पांच अन्य मुक्केबाज भी टीम में शामिल हैं. ये दोनों तीरंदाज अपनी कोच खलिदा बानो के साथ यहां आई हैं.

नुसरत ने चार साल पहले ही स्कूल से अपने खेल की शुरुआत की थी. उन्होंने कहा, "जब मैं छठी कक्षा में थी तब एक टीचर क्लास में आई उन्होंने हमें एक पाठ्यक्रम के रूप में हमें तीरंदाजी के बारे में बताया था. मेरे परिवार में मेरे चचेरे भाई और मेरे चाचा भी तीरंदाज हैं, इसलिए स्वभाविक रूप से तिरंदाजी में मेरी रुचि आई. तब मुझे बहुत कम पता था कि यह मुझे यहां ले आएगा और देश भर के इतने सारे एथलीटों के बीच ला खड़ा करेगा."

बटूल कारगिल की रहने वाली हैं और उन्होंने दो साल पहले ही स्कूल से इस खेल को खेलना शुरू किया है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

बटूल ने कहा, “हरियाणा की तिषा पुनिया एक तीरंदाज हैं और मैं उनसे काफी प्रेरित हुई हूं. वह 2018 में राष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीती थी और उन्हें यहां देखने तथा उनसे कुछ सीखने के लिए मैं उत्साहित हूं.”

कोच बानो ने इन दोनों एथलीटों को आगे आने के लिए काफी प्ररित किया है. कोच ने कहा कि पूरे साल ट्रेनिंग नहीं करने के बावजूद अन्य लोगों की तुलना में इन लड़कियों के लिए गुवाहाटी घर जैसा होगा.

(इनपुट: IANS)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT