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10 फीसदी सवर्ण आरक्षण बिल अब कानून बन चुका है. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद सरकार ने इसके लिए अधिसूचना भी जारी कर दी है. इसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों और अल्पसंख्यकों के कुछ हिस्सों को फायदा मिलेगा. इन्हें रोजगार और शिक्षा संस्थानों में फायदा दिया जाएगा. सरकारी सूत्रों के मुताबिक, एक हफ्ते के भीतर कानून को अंतिम रूप दिया जाएगा. संसद ने 103 वें संविधान संशोधन के जरिए आर्थिक आधार पर आरक्षण का बिल पास किया था.
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8 जनवरी को ये बिल लोकसभा से भी पास हो गया था. वोटिंग में 326 सदस्यों ने वोट डाले थे, इनमें से 323 ने इसके पक्ष में और 3 ने विरोध में वोट किया था. वहीं 9 जनवरी को इसे राज्यसभा से भी पास करा लिया गया था. 172 में से 165 सदस्यों ने पक्ष में और 7 सदस्यों ने विरोध में वोट डाले थे.
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Youth for equality नाम के NGO ने इस बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी है. यूथ फॉर इक्वलिटी ने इस बिल को चुनौती देने के पीछे दलील दी कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण पर बैन के फैसले का उल्लंघन किया है. याचिका में कहा गया है कि संसद ने 124वें संविधान संशोधन के जरिए आर्थिक आधार पर आरक्षण का बिल पास किया.
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