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वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम (World Economic Forum) ने ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स रिपोर्ट 2022 को जारी कर दिया है. भारत 146 देशों में 135वीं रैंक पर है. इस रिपोर्ट में लैंगिक समानता को लेकर देशों को रैंक दी जाती है. इसमें पहली रैंक पर आईसलैंड, फिर फिनलैंड और फिर नॉर्वे है, तीनों यूरोपीय देश हैं. भारत की रैंक में 2021 की तुलना में थोड़ा सुधार हुआ है, पिछले साल 156 देशों में भारत 140वें स्थान पर था.
यह रिपोर्ट लिंग समानता को लेकर डेटा पेश करती है, जिसमें बताया जाता है कि कोई देश आर्थिक भागीदारी और अवसर मिलने के आधार पर कितनी लैंगिक समानता है, शिक्षा के मौर्चे पर कितनी है, स्वास्थ्य और सर्वाइवल, और पॉलिटिकल इंपावरमेंट (राजनीतिक सशक्तिकरण) के आधार पर कितनी लैंगिक समानता है.
इन चार आयामों पर देशों को रैंक किया जाता है और उन्हें स्कोर भी दिया जाता है, जो 0 से लेकर 1 के बीच होता है. इसमें ज्यादा स्कोर का मतलब उस देश में लैंगिक समानता ज्यादा है जबकि कम होने पर इसका उल्टा माना जाता है.
लैंगिंक समानता की बात जब आती है तब महिलाएं केंद्र में होती हैं, क्योंकि असमानता का बोझ सबसे ज्यादा महिलाएं झेलती हैं. भारत में 65 करोड़ से भी ज्यादा महिलाएं हैं. भारत की रैंक 135 है, स्कोेर 0.629. भारत ने लैंगिंक समानता के मोर्चे पर हल्का सुधार किया है, पिछले साल (2021) में 156 देशों में से भारत 140वें स्थान पर था और स्कोर 0.625 था.
पहले भारत के नीच 16 देश थे और अब 11 देश हैं, जिसमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान, कॉन्गो, ईरान और चैड जैसे देश हैं. जिन चार आयामों पर यह रिपोर्ट पेश होती है, अब उसमें भारत की स्थिति जानते हैं.
इस श्रेणी में देखा जाता है कि संसद में महिलाओं की कितनी भागीदारी है या कैबिनेट में कितने फीसदी महिलाएं हैं, बाकी श्रेणी के मुकाबले इसमें भारत की रैंक 48 है, जो काफी बेहतर है लेकिन इसके बावजूद स्कोर 0.267 के साथ काफी कम है.
पिछले साल के मुकाबले भी स्कोर में कमी आई है जो 0.276 था. हालांकि सभी देशों के स्कोर का औसत निकालें तो भारत ठीक स्थिति में हैं.
इस श्रेणी में देखा जाता है कि देश में कितनी फीसदी महिलाएं काम कर रही हैं, कितना कमा रही हैं, पुरुषों के मुकाबले कितना पैसा उन्हें मिलता है, आदि. इस मोर्चे पर भारत की स्थिति अच्छी नहीं है. भारत 146 देशों में 143 पर है. हालांकि स्कोर में पिछले साल की तुलना में सुधार हुआ है. पिछले साल स्कोर 0.326 था और इस साल यह 0.350 है.
इसमें साक्षरता, स्कूल में पढ़ने वाले, हाई स्कूल जाने वालों की संख्या, देखी जाती है. 146 देशों की सूची में यहां भारत की रैंक 107 है. पिछले साल भारत 156 देशों में 114वें स्थान पर था.
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