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साईबाबा की रिहाई पर रोक और राम रहीम को पैरोल, दोनों केस पर पूरी जानकारी

दो मर्डर और रेप के दोषी राम रहीम को 40 दिन की पैरोल. साईबाबा हाईकोर्ट से रिहा, सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई पर रोक लगाई.

विकास कुमार
न्यूज
Published:
<div class="paragraphs"><p>GN Saibaba Delhi University Professor and Gurmeet Ram Rahim  granted parole</p></div>
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GN Saibaba Delhi University Professor and Gurmeet Ram Rahim granted parole

क्विंट हिंदी

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दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) के एक्स प्रोफेसर. उम्र 55 साल. शरीर का 90% हिस्सा काम नहीं करता. कई बीमारियां हैं. व्हील चेयर से ही चलना होता है. जी हां. हम बात कर रहे हैं जीएन साईबाबा (Gokarakonda Naga Saibaba) की. उनके लिए 14 अक्टूबर की तारीख खुशी लेकर आई. बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने उन्हें रिहाई का आदेश दिया. इसी तारीख को एक और वाकया हुआ. बाबा राम रहीम (Baba Ram Rahim) को पैरोल पर जेल से बाहर आने की अनुमति मिल गई. दोनों केस में अगला दिन यानी 15 अक्टूबर महत्वपूर्ण था. राम रहीम जेल से बाहर आ गया, लेकिन जीएन साईबाबा की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रोक लगा दी.

पहले समझते हैं कि राम रहीम पर क्या-क्या दोष लगे हैं?

दोष नंबर 1- पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या. ये सिरसा के पत्रकार थे. साध्वी यौन शोषण मामले में 13 मई 2002 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को संबोधित करते हुए एक गुमनाम लेटर लिखा गया था. उन्हीं के आधार पर पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने अखबार में खबरें छापी, जिसके बाद पत्रकार पर दबाव बनाया गया. नहीं मानने पर 24 अक्टूबर 2002 को घर के बाहर गोली मार दी गई. घायल छत्रपति ने 28 दिन बाद 21 नवंबर 2002 को दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल में दम तोड़ दिया.

दोष नंबर 2- डेरा मेंबर रणजीत सिंह की हत्या. रणजीत सिंह डेरा मैनेजमेंट कमेटी के मेंबर थे. साध्वी यौन शोषण मामले में डेरा कमेटी को शक था कि रणजीत ने ही बहन से गुमनाम चिट्ठी लिखवाई है. 10 जुलाई 2002 को रणजीत सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई.

दोष नंबर 3- साध्वियों का यौन शोषण. दो साध्वियों के यौन शोषण में 28 अगस्त 2017 को सीबीआई कोर्ट ने राम रहीम को 10-10 साल की सजा सुनाई.

एक नजर में दोनों केस की पूरी जानकारी, तस्वीर पर दिख रहे सर्कल को ड्रैग करें 

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3 केस में दोषी और पैरोल

कानून में पैरोल की गुंजाइश है. कोर्ट को सही लगता है तो पैरोल मिलती है, मिलनी भी चाहिए. कानूनन ही राम रहीम 40 दिन के लिए पैरोल पर जेल से बाहर है. बताया जा रहा है कि इस दौरान राम रहीम यूपी के बागपत आश्रम में रहेगा. इस साल तीसरी बार राम रहीम पैरोल पर बाहर है. इससे पहले राम रहीम को फरवरी 2022 और जून 2022 में पैरोल मिली थी.

अब जीएन साईबाबा की बात कर लेते हैं

माओवाद कनेक्शन के आरोप में 9 मई 2014 को जीएन साईबाबा  को दिल्ली स्थित उनके घर से गिरफ्तार किया गया. साल 2015 में उनके खिलाफ यूएपीए के तहत केस दर्ज किया गया. फिर साल 2017 में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली कोर्ट ने साईबाबा और पांच अन्य आरोपियों को यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के तहत दोषी ठहराया. गढ़चिरौली कोर्ट के फैसले के खिलाफ साईबाबा ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील की. 14 अक्टूबर 2022 को कोर्ट की नागपुर बेंच ने साईबाबा को डिस्चार्ज करने का आदेश दे दिया.

कोर्ट ने कहा कि यूएपीए के तहत कार्रवाई के लिए जरूरी मंजूरी का अभाव था. इस फैसले के बाद लगा कि जीएन साईबाबा जेल से बाहर आ जाएंगे. लेकिन अगले ही दिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को निलंबित कर दिया. कोर्ट ने कहा कि बरी करते वक्त आरोपी के खिलाफ कथित अपराध की गंभीरता और मामले की मेरिट पर विचार नहीं किया गया.

साईबाबा के वकील आकाश सरोदे ने हाईकोर्ट के फैसले के बाद बताया था कि साजिश की चेन साबित नहीं हुई. सबूत के तौर पर जो इलेक्ट्रॉनिक सीजर था वो सही तरीके से नहीं किया गया था. साईबाबा की पत्नी ने भी कहा है कि

''मामले में 23 गवाह थे. 22 पुलिसवाले खुद थे और एक जो दूसरा गवाह था, उसके बारे में पता चला कि उससे जबरन गवाही दिलवाई गई थी. घर से जो सामान सीज हुआ, वो सील के बिना ले गए थे.''

आकाश सरोदे ने ये भी बताया कि साईबाबा अरसे से गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें अंडा सेल से बाहर निकाला जाए ताकि उन्हें वेस्टर्न टॉयलेट मिल जाए, थोड़ी सी राहत मिल जाए, लेकिन ये गुहार अनसुनी कर दी गई. इसी केस में एक दूसरे पांडु नरोटे को भी जेल हुई थी. हाईकोर्ट ने उन्हें भी बरी किया था. लेकिन ये फैसला सुनने के लिए अब वो जिंदा नहीं हैं. आकाश सरोदे का कहना है कि उन्हें ठीक से इलाज ही नहीं मिला. हालांकि जेल प्रशासन ने इससे इनकार किया है.

सवाल बस इतना क्या कानून सबके लिए बराबर है?

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