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ग्रेटर नोएडा, 2 मार्च, (आईएएनएस)। सोसाइटी के सीवरेज को शोधित किए बिना नाले में बरसाती नाले में गिराने के मामले में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की है। प्राधिकरण ने सुपरटेक के ईको विलेज वन पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। प्राधिकरण ने बिल्डर को यह रकम एक सप्ताह में जमा कराने के निर्देश दिए हैं। सोसाइटी के सीवरेज को शीघ्र शोधित न कराने पर लीज डीड की शर्तों के अनुसार कार्रवाई की चेतावनी दी है।
दरअसल, ग्रेटर नोएडा में 20 हजार वर्ग मीटर से अधिक एरिया पर बनी सभी सोसाइटियों, संस्थानों व प्रतिष्ठानों को खुद का एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) लगाना और उसे चलाना अनिवार्य है। सोसाइटी से निकलने वाले सीवरेज को एसटीपी से शोधित करने के बाद उसका इस्तेमाल सिंचाई, निर्माण आदि कार्यों में होना चाहिए।
सुपरटेक ईको विलेज वन सोसाइटी के सीवरेज को बिना शोधित किए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के बरसाती नाले में गिराया जा रहा था। प्राधिकरण के सीवर विभाग ने जल प्रदूषण को देखते हुए बिल्डर को सीवरेज का शोधन तत्काल शुरू कराने को कहा था, न मानने पर प्राधिकरण ने सुपरटेक इको विलेज पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगा दिया है। साथ ही सीवरेज शोधित करने और उस पानी का उचित प्रबंधन करने के निर्देश दिए हैं।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ नरेंद्र भूषण ने बताया कि, सीवरेज को शोधित किए बिना बरसाती नाले में गिरान से न सिर्फ जल प्रदूषण फैल रहा है, बल्कि एनजीटी व सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी उल्लंघन हो रहा है। प्रदूषण को रोकने की जिम्मेदारी हम सभी की है। सोसाइटियों से निकलने वाले सीवरेज को शोधित करना अनिवार्य है। ऐसा न करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह अभियान आगे भी जारी रहेगा।
इसके अलावा प्राधिकरण ने चेतावनी दी है कि अगर सीवरेज का तत्काल शोधन शुरू न किया गया तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और प्राधिकरण की लीज डीड की शर्तों के अनुसार ईकोविलेज सोसाइटी पर कार्रवाई की जाएगी। सीवर विभाग ने चेतावनी दी है कि अगर किसी भी सोसाइटी, संस्थान व प्रतिष्ठान सीवरेज को शोधित किए बिना नाले में डालने की कोशिश की तो उस पर कठोर जुर्माना लगाया जाएगा। साथ ही ऑक्यूपेंसी व कंपलीशन सर्टिफिकेट रद्द करने और एफआईआर दर्ज कराने की भी कार्रवाई की जाएगी।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अब तक 46 बिल्डर सोसाइटियों पर करीब तीन करोड़ रुपये का जुर्माना लगा चुका है। इन सोसाइटियों के सीवरेज को बिना शोधित किए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के बरसाती नाले में गिराया जा रहा था।
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