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संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में बहुभाषावाद (Multilingualism) पर भारत द्वारा लाए गए प्रस्ताव को अपना लिया गया और यहां पहली बार हिंदी भाषा (Hindi Language) का उल्लेख हुआ है. मतलब गैर आधिकारिक भाषाओं (जिसमें हिंदी, उर्दू, बांग्ला भी शामिल हैं) में भी सूचनाएं देने को प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव पास हुआ है. ध्यान रखें कि यह आधिकारिक भाषा का दर्जा नहीं है.
संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत टीएस तिरुमूर्ति (TS Tirumurti) ने कहा कि "इस साल पहली बार रिजॉल्यूशन में हिन्दी भाषा का उल्लेख है...इसी में पहली बार बांग्ला और उर्दू का भी उल्लेख है. हम इस परिवर्तन का स्वागत करते हैं."
फिलहाल अरबी, चीनी, अंग्रेजी, फ्रेंच, रूसी और स्पेनिश यह छह भाषाएं संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषाएं हैं. अंग्रेजी और फ्रेंच में संयुक्त राष्ट्र सचिवालय काम भी करता है यानि यह इसकी कामकाजी भाषा है.
इस खबर के बाद काफी चर्चा है कि हिंदी भाषा को अंतररार्ष्ट्रीय स्तर पर मान सम्मान मिल रहा है और हिंदी का कद लगातार बढ़ रहा है. हाल ही में हिंदी को अंतररार्ष्ट्रीय स्तर पर मान सम्मान मिला और इससे पहले भी कई बार हिंदी का अंतररार्ष्ट्रीय स्तर पर उल्लेख हुआ है.
गीतांजलि श्री के उपन्यास "टूम ऑफ सैंड" जिसका हिंदी नाम 'रेत समाधि' है इसे हाल ही में अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज मिला है जिसके बाद हिंदी का कद और बढ़ गया. यह विश्व की उन 13 पुस्तकों में शामिल थी, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए शॉर्ट लिस्ट किया गया था. यह हिंदी भाषा में पहला ‘फिक्शन’ है जिसे पुरस्कार मिला.
इस किताब का सबसे पहला प्रकाशन साल 2018 में हुआ था जिसके बाद लेखिका और डेजी रॉकवेल ने इस उपन्यास का अंग्रेजी में अनुवाद किया. गीतांजलि श्री को पुरस्कार के तौर पर 50 हजार पाउंड यानि करीब 50 लाख रुपये का प्राइज मनी मिला.
वर्ल्ड लैंग्वेज डेटाबेस के 22वें संस्करण इथोनोलॉज में बताया गया है कि दुनियाभर की 20 सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में 6 भारतीय भाषाएं हैं जिनमें हिंदी तीसरे स्थान पर है. इथोनोलॉज के मुताबिक दुनियाभर में 61.5 करोड़ लोग हिंदी भाषा का इस्तेमाल करते हैं.
देश के पूर्व प्रधनमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 1977 में बतौर जनता सरकार के विदेश मंत्री संयुक्त राष्ट्रसंघ में अपना पहला भाषण हिंदी में देकर सबको चौंकाया था. संयुक्त राष्ट्र में अटल बिहारी वाजपेयी का हिंदी में दिया भाषण उस वक्त काफी लोकप्रिया हुआ था. यह पहला मौका था जब यूएन जैसे अतंराष्ट्रीय मंच पर भारत और हिंदी भाषा का मान बढ़ा था. हिंदी में दिए गए इस भाषण से यूएन में आए प्रतिनिधि बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने खड़े होकर भारतीय विदेश मंत्रियों के लिए तालियां बजाई थी.
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