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विश्व में कितनी लोकप्रिय है हिन्दी, पहले से कितना बढ़ा है प्रभाव?

संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया था.

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भारत
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संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया था. इसी की स्मृति में प्रतिवर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है.

आधुनिक हिंदी की बात की जाए तो इस पर महावीर प्रसाद द्विवेदी का बड़ा प्रभाव है. 'सरस्वती' पत्रिका के सम्पादक के रूप में वह अपने समय (1903-1920) पूरे हिंदी साहित्य पर छाए रहे.

उनकी वजह से ब्रज भाषा हिंदी कविता से हटती गई और खड़ी बोली ने उसका स्थान लिया. हिंदी भाषा को स्थिर, साफ और व्याकरण सम्मत बनाने के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की.संस्कृत के तत्सम शब्द उस समय से भाषा से हटते चले गए और उनकी जगह उर्दू, फ़ारसी का प्रयोग शुरू हुआ.

आजकल भी लेख की शुरुआत परिचय कराते हुए की जाती है, इस परिचयात्मक शैली का प्रयोग उन्होंने ही शुरू किया था.

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विश्व में कितनी लोकप्रिय है हिंदी?

  • मॉरिशस में हिंदी खासी लोकप्रिय है, जापान में हिंदी की पढ़ाई वर्षों पहले शुरू कर दी गई थी.

  • पिछले साल अमरीका में भारत के शीर्ष राजनयिक अमित कुमार ने कहा था कि अमरीका में नौ लाख से अधिक लोग हिंदी बोलते हैं.

  • वर्ल्ड डाटा डॉट इंफो के अनुसार विश्वभर में 566.5 मिलियन लोग हिंदी भाषी हैं.

  • फिजी में 3,92,000 लोग हिंदी बोलते हैं तो न्यूजीलैंड में 81,000 लोग.

कोरोना काल में बहुत से नए शब्द हिंदी में शामिल हुए और आमजनों के बीच लोकप्रिय भी होते गए.
मीडिया के द्वारा बार-बार प्रयोग किए जाने की वजह से सोशल डिस्टेंस, वेबिनार, इम्युनिटी पॉवर, वायरस, वॉरियर्स, पॉजिटिव, क्वारंटीन, आइसोलेशन जैसे शब्द हिंदी में ही लिखे जाने लगे.

जैसे भारत में विश्व की अलग-अलग संस्कृति से आने के बाद भी लोग भारतीय बन गए, वैसे ही हिंदी में भी दूसरी भाषाओं के शब्द शामिल होने के बाद हिंदी के ही हो गए.

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अनुच्छेद 351 के अनुसार संघ का यह कर्तव्य होगा कि वह हिंदी का प्रसार बढ़ाए, उसका विकास करे, जिससे वह भारत की सामासिक संस्कृति के सभी तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके और उसकी प्रकृति में हस्तक्षेप किए बिना हिंदुस्तानी में और आठवीं अनुसूची में निर्देश किए गए भारत की अन्य भाषाओं में प्रयुक्त रूप शैली और पदों को आत्मसात करते हुए और जहां आवश्यक या वांछनीय हो वहां उसके शब्द भण्डार के लिए मुख्यतः संस्कृत से और गौणतः अन्य भाषाओं से शब्द ग्रहण करते हुए उसकी समृद्धि सुनिश्चित करे.

'गहन है यह अन्धकारा' के लेखक डॉ अमित श्रीवास्तव कहते हैं कि व्याकरण प्रधान भाषा में होना चाहिए, स्कूल्स की जगह स्कूलों कहने का अंतर समझ हिंदी का अधिक प्रसार किया जा सकता है.

हिंदी पर लिखी उनकी एक कविता की कुछ पंक्तियां भी हिंदी के लिए कुछ ऐसा ही कहती हैं

  • संगीत वाद्य हिंदी

  • सबकी आराध्य हिंदी

  • बस पूर्ण हो कि इतनी

  • साधन और साध्य हिंदी

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1965 वाली बिंदी नहीं रही अब हिंदी

1965 में अंग्रेजी के पर कटने थे और हिंदी को राष्ट्रभाषा बनना था पर दक्षिणी राज्यों के विरोध के कारण हिंदी को मात्र राजभाषा तक सीमित रहते हुए अंग्रेजी के साथ अपनी कुर्सी बांटनी पड़ी थी.

लेकिन अब स्थिति वह नहीं है हिंदी पूरे देशभर में अंग्रेजी की तरह ही रोजगार देने वाली भाषा के रूप में सामने आई है.

यह अंतर साल 1990 के बाद से मीडिया में हिंदी बाजार के दबदबे की वजह से सम्भव हुआ. हिंदी की लोकप्रियता और इसमें रोजगार के अवसरों का अंदाजा हम टेलीविजन, इंटरनेट और शिक्षा में हिंदी के दबदबे को देखकर लगा सकते हैं.

1959 में दूरदर्शन के रूप में हिंदी का पहला टेलीविजन चैनल आया तो 1999 में पहला हिंदी वेब पोर्टल 'वेबदुनिया'.
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आज हिंदी मनोरंजन, चलचित्र, संगीत, समाचार, खेल स्वास्थ्य, धर्म से जुड़े चैनलों की संख्या 100 से अधिक है तो हजारों हिंदी वेब पोर्टल भी इंटरनेट की दुनिया में अपना अधिकार जमाए हुए हैं.

स्टेटिस्ता डॉट कॉम के अनुसार भारत में फरवरी 2021 के दौरान ट्वीटर का इस्तेमाल करने वाले यूजरों की संख्या 17.5 मिलियन, इंस्टाग्राम यूजरों की संख्या 210 मिलियन, फेसबुक के 410 मिलियन और वॉट्सऐप यूजरों की संख्या 530 मिलियन है.

मोबाइल में आसानी से हिंदी टाइप करने की सुविधा ने हर उम्र के लोगों तक इनकी पहुंच बना दी है. कोरोना काल में लॉकडाउन की वजह से इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों का उपयोग ज्यादा बढ़ गया और हिंदी के अधिक प्रचार-प्रसार में मदद मिली. आजकल लोग हिंदी में पोस्ट लिखने पर गर्व महसूस करते हैं.

ओटीटी प्लेटफॉर्मों को भी सिनेमा हॉल बंद रहने की वजह से फायदा हुआ और हिंदी कंटेंट बनाने, देखने वालों की भरमार हो गई.

निर्विवाद रूप से हिंदी और उसके बाजार को इससे फायदा हुआ.

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शॉपिंग वेबसाइट अमेजन ने साल 2018 में अपनी वेबसाइट में हिंदी की सुविधा दी तो फ्लिपकार्ट ने साल 2019 में यह कहते हुए हिंदी सेवा शुरू की कि इससे उनके साथ 20 करोड़ अतिरिक्त ग्राहक जुड़ेंगे.

हिन्दी भाषा में रोजगार के अवसर

साल 2018 और 2019 में असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए पात्र बनने वाली नेट परीक्षा में हिंदी विषय के अभ्यर्थियों की संख्या से हम हिंदी की बढ़ती लोकप्रियता का पता कर सकते हैं.

दिसम्बर 2018 की नेट परीक्षा में समान्य श्रेणी से कॉमर्स में उत्तीर्ण 2991 छात्रों के बाद सबसे ज्यादा 1513 छात्र हिंदी के ही थे, 2019 परीक्षा में यह आंकड़ा बढ़ते हुए कॉमर्स- 3770 तो हिंदी में 1972 पहुंच गया था. जानने वाली बात यह भी है कि इसमें पत्रकारिता के हिन्दीभाषी अभ्यर्थियों के आंकड़े शामिल नही हैं.

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पहले से बदला है समय

'मुझे चांद चाहिए' को लेकर पहचाने जाने वाले लेखक सुरेंद्र वर्मा ने एक शोधार्थी से खुद पर शोध किए जाने के बदले 25 हजार रुपये मांगे, शोधार्थी ने यह सोचकर कि पैसे मांगने पर लोग लेखक के खिलाफ खड़े हो जाएंगे उनकी पैसे मांगते वीडियो वायरल कर दी. लेकिन हुआ इसके विपरीत सारे लेखक सुरेंद्र वर्मा के पक्ष में आ गए और सबको यह बता दिया कि समय अब पहले सा नहीं रहा, हिंदी लिखने-पढ़ने वालों की अब मांग है और उसके लिए पैसे भी देने पड़ेंगे.

नई शिक्षा नीति से भी हिंदी को फायदा मिलेगा. स्कूली शिक्षा में त्रिभाषा फॉर्मूला चलेगा, पांचवीं कक्षा तक मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा पढ़ाई का माध्यम बनेगी.
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अब छात्रों को हिंदी में गिनती पूछने पर सर नही खुजाना पड़ेगा. भारत में जनता खिलाड़ियों और अभिनेताओं को अपना आदर्श मानती हैं. क्या उत्तर क्या दक्षिण बालों का स्टाइल हो या खेल, उनके आदर्श जो करते हैं वह ट्रेंड बन जाता है.

यह आर्दश हिंदी को बढ़ावा देंगे तो निश्चित ही इसमें और अधिक अवसर बढ़ेंगे. ओलंपिक विजेता नीरज चोपड़ा के चर्चे आजकल देशभर में हैं, खासकर युवाओं के बीच वह ज्यादा लोकप्रिय हो रहे हैं.

उनका हिंदी के प्रति प्रेम युवाओं को हिंदी के प्रति आकर्षित करने में मदद करेगा. अपने एक पुराने साक्षात्कार में उन्होंने जतिन सपरु से हिंदी में सवाल पूछने के लिए कहा था तो एकमरा स्पोर्ट्स लिटरेरी फेस्टिवल में भी वह एक पत्रकार से हिंदी में सवाल पूछने के लिए कहते दिखे.

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अमिताभ बच्चन हो या वीरेंद्र सहवाग दोनों अपने ट्वीट अधिकतर हिंदी भाषा में ही करते दिखते हैं, अमिताभ बच्चन का तो ट्विटर बायो भी हिंदी में ही है.

"तुमने हमें पूज-पूज कर पत्थर कर डाला; वे जो हमपर जुमले कसते हैं हमें ज़िंदा तो समझते हैं "
हरिवंश राय बच्चन

हिंदुस्तान, हिंदी भाषा और हिंदी का बाजार एक दूसरे से जुड़े हैं, जो भविष्य में बढ़ते ही जाएंगे.

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