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दिल्ली में 3 अप्रैल को 'हिंदू महापंचायत' (Hindu Mahapanchayat) जब खत्म होने लगी तब वहां जुटी भीड़ ने कम से कम 6 पत्रकारों के साथ धक्का-मुक्की की. इनमें से दो पत्रकारों ने बयान दिया कि उन्हें भीड़ ने मारा पीटा.
मैं पत्रकारों के इस समूह में शामिल था, जिन्हें दिल्ली के बुरारी ग्राउंड घटना स्थल पर भीड़ का प्रकोप झेलना पड़ा. घटना के बारे में विस्तार से रिपोर्टिंग हुई है और वो कई जगह छप चुकी हैं सो वो कहानी यहां नहीं दोहराते हैं.
हिंदू महापंचायत का आयोजन सेव इंडिया फाउंडेशन के प्रीत सिंह ने किया था. प्रीत सिंह वही शख्स है, जिसने अगस्त 2021 में दिल्ली में जंतर-मंतर पर एक कार्यक्रम किया था. उसमें मुस्लिम विरोधी भाषण दिए गए थे.
फिलहाल वो जमानत पर बाहर है और दिल्ली में 3 अप्रैल को जंतर-मंतर जैसा ही कार्यक्रम हिंदू महापंचायत आयोजित किया. महापंचायत के एजेंडे को पहले ही पोस्टरों के जरिए बताया गया. ये लगभग जंतर-मंतर कार्यक्रम जैसा ही था. क्विंट ने महापंचायत होने से पहले इसके बारे में बताया भी था.
ये देखकर कि महापंचायत को कई पत्रकार कवर करने आए हैं, प्रीत सिंह ने मंच से बार-बार घोषणा की, "मंच से जो कुछ भी कहा जा रहा है, वो हिंदू महापंचायत का आधिकारिक बयान है और फिर, पत्रकारों को साफ -साफ धमकी देते हुए कहा,
सिंह ने कार्यक्रम के मंच से हिंदू महापंचायत में आए सैकड़ों लोगों के सामने ऐसी धमकियां कई बार दी. आखिर में कार्यक्रम जब खत्म होने लगा तो महापंचायत में कई पत्रकारों से उन लोगों ने धक्कामुक्की और मारपीट की.
अपने भाषण के दौरान, कार्यक्रम के आयोजक और सेव इंडिया फाउंडेशन के प्रमुख प्रीत सिंह ने न्यूज वेबसाइट न्यूजलॉन्ड्री की एक रिपोर्टर शिवांगी सक्सेना का मजाक उड़ाया और निशाना साधते हुए कहा, "शिवांगी जी, इधर कोई हेट स्पीच तो नहीं हो रही है ना?"
ऐसा प्रीत सिंह ने 2021 में जंतर-मंतर कार्यक्रम पर शिवांगी की रिपोर्टिंग का हवाला देते हुए कहा था, जिसमें प्रीत सिंह ने जो मुस्लिम विरोधी नारे लगाए थे, उसकी खबर थी. जिस लहजे में मंच से टिप्पणी की गई उससे साफ पता चलता है कि उन वक्ताओं और हिंदू महापंचायत के लिए जुटी भीड़ ने सक्सेना को अपना विरोधी जैसा माना.
कुछ मिनट बाद, जब वहां मौजूद दूसरे पत्रकारों के साथ धक्का मुक्की और मारपीट शुरू हो गई, तो मौजूद भीड़ ने शिवांगी सक्सेना के सहयोगी रौनक भट पर हमला कर दिया और शिवांगी के साथ भी धक्कामुक्की की. सक्सेना और भट्ट ने न्यूजलॉन्ड्री पर इस घटना के बारे में लिखा है.
आर्टिकल में आगे लिखा गया है, "शिवांगी, जिन्होंने हमले को फिल्माने की कोशिश की, उन्हें चार लोगों ने पकड़ लिया. एक ने बैग, दूसरे ने कंधा और तीसरे ने उनका हाथ पकड़ लिया जिसमें शिवांगी का फोन था. एक शख्स ने फोन छीनकर चिल्लाते हुए पूछा, "अपना प्रेस आईडी दिखाओ,. उस व्यक्ति ने कहा- "रिकॉर्डिंग डिलीट करो, हम इसे रिकॉर्ड नहीं करने देंगे’.
हिंदुत्व नेता और डासना मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद इस कार्यक्रम के प्रमुख वक्ताओं में शामिल थे. हरिद्वार धर्म संसद में भड़काऊ भाषण मामले में नरसिंहानंद जमानत पर बाहर हैं. वो हरिद्वार धर्म संसद के प्रमुख आयोजकों में से एक थे. अपनी जमानत की शर्त, जो उन्हें किसी भी सांप्रदायिक भड़काऊ भाषण देने या यहां तक कि ऐसे आयोजनों में शामिल होने से रोकती है को तोड़ते हुए नरसिंहानंद ना सिर्फ इस कार्यक्रम में आए बल्कि मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ भाषण भी दिया.
इस तरह की अन्य टिप्पणियों के बीच नरसिंहानंद ने कहा कि,
सुदर्शन न्यूज के संपादक सुरेश चव्हाणके ने भी महापंचायत में जहरीले बोल कहे. उन्होंने कहा कि भारत में मुसलमानों को केवल उतना ही अधिकार होना चाहिए जितना कि पाकिस्तान में हिंदुओं को है. उन्होंने समानता के अधिकार के खिलाफ बात की. चव्हाणके ने कहा कि भारत को समान अधिकार देने वाला देश नहीं बल्कि हिंदुओं का राष्ट्र होना चाहिए.
ये सब यूं ही नहीं कहा जा रहा था, ये अंदाजा लगाया जा रहा था कि जो लोग महापंचायत में आए थे, वो ऐसी बातों का मतलब जरूर समझेंगे. ये भाषण स्पष्ट रूप से मुस्लिमों के खिलाफ घृणा से भरे हुए थे. इसका उद्देश्य महापंचायत में आए लोगों के मन में मुसलमानों के खिलाफ और अधिक नफरत, असंतोष बढ़ाना था.
महापंचायत में आए पत्रकारों के खिलाफ प्रीत सिंह की धमकियों, न्यूजलॉन्ड्री रिपोर्टर का मजाक उड़ाने और बाहर निकलवाने, वक्ताओं का मुसलमानों के खिलाफ नफरत और भेदभाव बढ़ाने और हथियार जुटाने की बात करना - ये हिंदू महापंचायत का पूरा माहौल था.
मंच पर आए कई वक्ता और समन्वयक जैसे- यति नरसिंहानंद, प्रीत सिंह, पिंकी चौधरी सभी अलग-अलग भड़काऊ भाषणों के मामलों में जमानत पर बाहर थे. यहां तक कि नरसिंहानंद ने तो स्पष्ट रूप से अदालत की जमानत शर्तों का उल्लंघन किया था. महापंचायत के लिए पुलिस ने इजाजत नहीं दी थी, बावजूद इसके पुलिस को धत्ता बताकर आयोजन किया गया.
इस कार्यक्रम को खुद कवर करने और महापंचायत में भीड़ की हाथापाई झेलने के बाद, अब जब पीछे मुड़कर मैं देखता हूं तो मंच से जारी हुए सभी उकसावे मेरी आंखों के सामने आ जाते हैं. मंच से वक्ता भीड़ को भड़का रहे थे और आखिर में भीड़ ने पत्रकारों पर हमला कर दिया, जो कि सिर्फ वहां अपनी ड्यूटी कर रहे थे.
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