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लोकसभा चुनाव 2019 में अब 2 महीने ही बचे हैं ऐसे में राजनीतिक पार्टियों के बीच जमकर उठापटक चल रही है. पार्टियों में आपस में ‘रूठने-मनाने’ का दौर जारी है. विपक्ष लगातार अपने आप को मजबूत करने में लगा है और केंद्र में बैठी एनडीए सरकार से जो भी दल नाराज दिख रहा है उसे अपने पाले में करने के लिए जोर आजमाइश की जा रही है.
ऐसे में देशभर में अब चार खेमे तैयार हो चुके हैं. एक तरफ एनडीए गठबंधन है, दूसरी तरफ यूपीए , तीसरी तरफ अलग-अलग राज्यों के कई विपक्षी दल साथ हैं और चौथा खेमा ऐसा है, जिसमें वो दल शामिल हैं जो फिलहाल किसी के भी साथ नहीं हैं. एक नजर डालते हैं कि अभी कौन सा दल कहां खड़ा है.
बीजेपी के साथ फिलहाल जो दल दिखाई देते हैं उनमें सबसे प्रमुख जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) है. बिहार में बीजेपी और नीतीश कुमार की जेडीयू के बीच सीटों का बंटवारा भी हो चुका है. बिहार राज्य में ही उनके एक और बड़े साथी एलजेपी (लोक जनशक्ती पार्टी) है. बात अगर पंजाब की करें तो वहां अकाली दल भी मोदी सरकार के साथ खड़ा है.
इसके अलावा यूपी में अपना दल(एस) और ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी भी एनडीए का हिस्सा हैं. हालांकि, आए दिन ये दोनों छोटी-छोटी पार्टियां बीजेपी को आंख दिखाती रहती हैं. नॉर्थ ईस्ट पर नजर डालें तो वहां बीजेपी के साथ नागा पीपल्स फ्रंट, नेशनल पीपल्स पार्टी, यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट और सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट जैसे साथी हैं. दक्षिण भारत में भी कई छोटे-छोटे दलों के साथ बीजेपी ने हाथ मिला रखा है.
कांग्रेस पार्टी ने पिछले कुछ समय में इस गठबंधन को काफी मजबूत किया है. हाल ही में विधानसभा चुनावों में मिली जीत के बाद यूपीए की ताकत बढ़ी है. ऐसे में देश के कई राज्यों में उन्हें अच्छे साथी मिले हैं. बात बिहार की करें तो कांग्रेस के साथ लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल, उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी और जीतन राम मांझी का हिंदुस्तान आवाम मोर्चा शामिल है. इसके अलावा शरद यादव की नई पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल भी यूपीए में शामिल है. बंगाल में पूरी-पूरी संभावना है कि लेफ्ट पार्टी कांग्रेस के साथ मिलकर लड़े.
महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ शरद पवार की पार्टी एनसीपी है. इसके अलावा दक्षिण में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी ने भी एनडीए का साथ छोड़कर राहुल गांधी से हाथ मिला लिया है. कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी की पार्टी जेडीएस और कांग्रेस एक हैं. तमिलनाडु में एमके स्टालिन की पार्टी डीएमके ने भी कांग्रेस संग हाथ मिलाया है. तो वहीं राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में बीएसपी और एसपी ने कांग्रेस का साथ दिया है. हालांकि, यूपी में इन दोनों दलों ने कांग्रेस को अभी तक अपने गठबंधन से दूर रखा है.
यहां यूपीए और एनडीए से अलग दल हैं. ये सभी दल अपने-अपने क्षेत्र की बड़ी पार्टियां हैं और लेकिन अभी तक किसी भी घटक दल में शामिल नहीं हैं. यहां सबसे मजबूत पार्टी पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस है. इसके अलावा दिल्ली की आम आदमी पार्टी, यूपी की समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी जैसे बड़े दल मौजूद हैं. तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव भी कह चुके हैं कि वो तीसरे मोर्चे की विपक्षी पार्टियों के साथ हैं.
देश में कुछ बड़ी पार्टियां ऐसी भी हैं जिन्होंने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. इनमें सबसे बड़ी पार्टी उड़ीसा की बीजू जनता दल और तमिलनाडु की एआईएडीएमके हैं.
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