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13 दिसंबर 2001 यानी 20 साल पहले ही पाकिस्तान(Pakistan) से आए पांच दहशतगर्दों ने दिल्ली में संसद भवन(Parliament House) को गोलियों से छलनी करने की कोशिश की थी. आज देश पर हुए उस आतंकी हमले की 20वीं बरसी है. इस मौके पर गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित दी. वहीं, संसद में भी श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी.
संसद हमले की 20वीं बरसी पर सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शहीद सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि दी. गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर कहा कि भारतीय लोकतंत्र के मंदिर संसद भवन पर हुए कायरतापूर्ण आतंकी हमले में राष्ट्र के गौरव की रक्षा हेतु अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले सभी बहादुर सुरक्षाबलों के साहस व शौर्य को कोटिशः नमन करता हूं. आपका अद्वितीय पराक्रम और अमर बलिदान सदैव हमें राष्ट्रसेवा हेतु प्रेरित करता रहेगा.
वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर कहा कि 2001 में संसद भवन पर हमले के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले उन बहादुर सुरक्षाकर्मियों को मेरी श्रद्धांजलि. राष्ट्र उनके साहस और कर्तव्य के प्रति सर्वोच्च बलिदान के लिए आभारी रहेगा.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी संसद हमले के शहीद सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि मैं उन बहादुर सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं जिन्होंने 2001 में आज ही के दिन एक नृशंस आतंकवादी हमले के खिलाफ दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की संसद की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी. राष्ट्र उनके सर्वोच्च बलिदान के लिए हमेशा उनका आभारी रहेगा.
13 दिसंबर 2001 को संसद के गेट नंबर 12 से गृह मंत्रालय के स्टीकर लगी लाल बत्ती वाली एंबेसडर कार तेज रफ्तार से निकली तो यहां तैनात सुरक्षाकर्मी को शक हुआ. इसके बाद जैसे ही गार्ड जगदीश यादव ने कार का पीछा किया तो उसकी रफ्तार और तेज हो गई. इसी दौरान गेट नंबर 11 पर उस समय के उपराष्ट्रपति कृष्णकांत बाहर निकलने वाले थे और काफिले में तैनात गार्ड उनका इंतजार कर रहे थे तभी जगदीश यादव ने सुरक्षाकर्मियों को वह कार रोकने का इशारा किया वो अलर्ट हो गए लेकिन तब तक आतंकियों की कार ने उपराष्ट्रपति के काफिले को टक्कर मार दी थी. इसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने अपने हथियार निकाल लिए और गोलियों की बौछार शुरू हो गई. जगदीश यादव सहित चार सुरक्षाकर्मी तो मौके पर ही शहीद हो गए.
करीब 45 मिनट तक चली गोलीबारी में सभी आतंकवादी ढेर हो गए, लेकिन ढेर होने से पहले आतंकियों ने संसद में घुसने की हरसंभव कोशिश की और संसद के अंदर हथगोले फेंके, आत्मघाती विस्फोट किया पर सुरक्षाकर्मियों के आगे उनकी एक ना चली. इस हमले में देश के सात सुरक्षाकर्मियों समेत 8 लोग शहीद हो गए.
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