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26/11 अटैक यानी मुंबई पर हुए आतंकी हमले की 10वीं बरसी पर कांग्रेस के सीनियर नेता पी. चिदंबरम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तीन सवाल किए हैं. चिदंबरम ने कहा है कि प्रधानमंत्री को इन तीन सवालों के जवाब देश को देने चाहिए.
चिदंबरम ने ट्विटर के जरिए पीएम मोदी से सवाल किए हैं:
मुंबई आतंकी हमले के बाद केंद्र की तत्कालीन यूपीए सरकार ने NCTC यानी नेशनल काउंटर टेररिज्म सेंटर का प्रस्ताव दिया था. हालांकि NCTC को लेकर यूपीए सरकार ने काफी रस्साकशी की, लेकिन इस मुद्दे पर कई राज्यों और केंद्र के बीच आम राय नहीं बन पाई, जिसके चलते ये प्रस्ताव अटका रहा.
बाद में साल 2014 में आई नई सरकार ने NCTC के गठन को ठंडे बस्ते में डाल दिया.
नेशनल काउंटर टेररिज्म सेंटर का मकसद आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षाबलों की ताकत को मजबूत करना था. NCTC का उद्देश्य आतंकवाद के मुद्दे पर राज्यों और केंद्र के बीच तालमेल बढ़ाना था.
तत्कालीन केंद्र ने सरकार ने इसके लिए एक छह सूत्रीय SOP बनाया था, जिसके तहत NCTC काम करता. प्रस्ताव के मुताबिक, NCTC में एक स्थायी काउंसिल होगी, जिसमें केंद्र और राज्य दोनों के अफसर होंगे. राज्यों के एटीएस के मुखिया अपने−अपने राज्य में NCTC को हेड करेंगे.
NCTC के तहत होने वाली हर कार्रवाई की जानकारी राज्य के DGP को दी जाएगी. अगर किसी ऑपरेशन से पहले सूचना नहीं दी जा सकी, तो ऑपरेशन के फौरन बाद ये सूचना दी जाएगी. इसके अलावा गिरफ्तार किए गए लोगों और जब्त सामान को सबसे करीबी पुलिस स्टेशन में जमा कर दिया जाएगा.
NCTC के गठन को कुछ मुख्यमंत्रियों ने राज्यों के अधिकार क्षेत्र का हनन बताया था. इस लिस्ट में तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बीजेपी शासित राज्यों- गुजरात, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ बिहार में बीजेपी-जेडीयू गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, ओडिशा में बीजू जनता दल सरकार के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता और तेलुगूदेशम पार्टी के अध्यक्ष एन. चंद्रबाबू नायडू ने NCTC के खिलाफ आवाज बुलंद की थी.
मुंबई हमले के बाद ही नेशनल इंटेलीजेंस ग्रिड स्थापित करने का विचार आया था. साल 2009 में इस प्रोजेक्ट का प्रस्ताव दिया गया. तत्कालीन यूपीए सरकार ने जून 2011 में NATGRID को मंजूरी दे दी.
NATGRID का उद्देश्य देश-विदेश में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए सुरक्षा एजेंसियों और कानून लागू करने वाली एजेंसियों को ठोस सूचना का आदान-प्रदान करना है. नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड प्रोजेक्ट के तहत विभिन्न सार्वजनिक और निजी एजेंसियों द्वारा रखे जा रहे 21 श्रेणियों के डाटाबेसों को जोड़ा गया है, ताकि देश की सुरक्षा एजेंसियों तक उसकी पहुंच हो सके.
NATGRID के डेटा स्रोतों में इमिग्रेशन एंट्री और एग्जिट, बैंकिंग, फाइनेंशियल ट्रांजेक्शंस और टेलिकॉम से संबंधित रिकॉर्ड शामिल हैं. संबंधित एजेंसियों में इंटेलीजेंस ब्यूरो, लोकल पुलिस, रेवेन्यू और कस्टम डिपार्टमेंट शामिल हैं.
गृह मंत्रालय के प्रस्ताव के मुताबिक, NATGRID डेटा उपलब्ध कराने वाले संगठनों और उसका इस्तेमाल करने वालों को जोड़ेगा. इसके अलावा यह कानूनी ढांचा तैयार करेगा, जिसके जरिये पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों को सूचना मुहैया हो सकेगी.
हालांकि, यूपीए सरकार में शुरू हुआ NATGRID फिलहाल किस हद तक भूमिका निभा रहा है, यह कहना मुश्किल है.
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