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जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाए जाने के साथ ही मोबाइल, इंटरनेट समेत कम्यूनिकेशन के सभी माध्यमों पर पाबंदी के खिलाफ स्थानीय पत्रकारों ने 3 अक्टूबर को मौन प्रदर्शन किया. कश्मीर में कम्यूनिकेशन पर पाबंदी के 60 दिन से भी अधिक हो गए हैं. लेकिन अब तक इसमें कोई ढील नहीं दी गई है.
पत्रकारों ने कहा है कि सरकार की यह पाबंदी पूरी तरह से कम्यूनिकेशन का गला घोंटने जैसा है. प्रदर्शन के दौरान पत्रकार तख्तियां लिए हुए थे जिन पर “Journalism is not a crime’ और ‘End communication blockade’.जैसे नारे लिखे थे. उनका कहना था कि कम्यूनिकेशन और इंटरनेट कनेक्टिविटी को तुरंत बहाल किया जाए. इससे वे अपना काम नहीं कर पा रहे हैं. पत्रकार कुर्तुलैन रहबर ने कहा
घाटी में पिछले दो महीनों से मोबाइल फोन और इंटरनेट सर्विस बंद है. सरकार की ओर से कहा गया है कि उसने लैंडलाइन फोन सर्विस बहाल कर दी है. हालांकि अभी यह तय नहीं है कि मोबाइल और इंटरनेट सर्विस दोबारा कब बहाल होगी. सरकार ने पत्रकारों को अपनी स्टोरी भेजने की सुविधा देने के लिए मीडिया सेंटर बनाया है. इसमें कुछ ही कंप्यूटर ऐसे हैं, जिनमें इंटरनेट है . पत्रकारों का कहना है उनके काम के हिसाब से ये नाकाफी हैं.
एक और कश्मीरी पत्रकार रशीद मकबूल ने ‘द क्विंट’ से कहा
केंद्र सरकार ने इस साल 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाने का ऐलान किया था. इसके बाद से वहां इंटरनेट और मोबाइल सर्विस बंद कर दी गई थी. इसे अभी तक बहाल नहीं किया गया है.
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