देश गांधी जयंती मना रहा है. वो गांधी जिन्होंने अपने अहिंसक प्रदर्शनों के जरिए अंग्रेजों को देश से खदेड़ दिया. गांधीजी की इसी सीख को मन में लिए नागपुर की प्रीति, दिल्ली प्रदर्शन में आई हैं. मांग सिर्फ इतनी है कि रेलवे उन्हें परीक्षा देने से वंचित न करे. प्रीति के साथ उनकी 4-5 साल की बच्ची फिरदौस भी हैं, पिछले 4 दिन से वो दिल्ली में ही हैं और गांधी जयंती के दिन उन्होंने रेल भवन के सामने झाड़ू लगाकर प्रदर्शन किया. दिल्ली पुलिस को लगा अव्यवस्था फैल रही है और प्रीति को बच्ची समेत हिरासत में ले लिया गया.
प्रीति की तरह रेलवे ग्रुप डी एग्जाम के कई और छात्र दिल्ली और अलग-अलग जगहों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. मांग सिर्फ इतनी है कि उनकी तैयारी बेकार न जाए, सिर्फ एग्जाम देने दिया जाए.
‘’मैं पिछले चार दिन से प्रोटेस्ट के लिए महाराष्ट्र से दिल्ली आई हुई हूं. साथ में छोटी सी बच्ची भी है लेकिन क्या कर सकते हैं? मेरी सरकार से सिर्फ इतनी ही मांग है कि हमें परीक्षा में बैठने दिया जाए, और हमें कुछ नहीं चाहिए. कैसे भी करके परीक्षा मैं बैठ जाऊं वरना पूरी तैयारी बेकार चली जाएगी.’’प्रीति, प्रदर्शनकारी कैंडिडेट, नागपुर
5 लाख कैंडिडेट्स की तैयारी बेकार चली जाएगी....
दरअसल, लोकसभा चुनाव से पहले फरवरी 2019 में रेलवे ग्रुप डी के 1 लाख 28 हजार पदों के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया था. इसके लिए करीब 1 करोड़ 15 लाख छात्रों ने आवेदन किया, जिनमें से 5,48,829 कैंडिडेट्स के आवेदन रद्द कर दिए गए. ऐसे कैंडिडेट्स का कहना है कि तस्वीर या सिग्नेचर सही नहीं होने को वजह बताते हुए आवेदन रद्द कर दिया गया.
आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संगठन 'युवा- हल्ला बोल' के को-ऑर्डिनेटर गोविंद मिश्र का कहना है कि रेलवे की ही आरआरबी जूनियर इंजीनियर परीक्षा में कैंडिडेट्स की इन्हीं तस्वीरों के आधार पर आवेदन स्वीकार किए गए हैं, अब इसी तस्वीर को फॉर्म रिजेक्ट करने का कारण बताया जा रहा है. न ही सुधार करने के लिए मॉडिफिकेशन लिंक (ताकि ऑनलाइन नई फोटो अपलोड की जा सके) दिया जा रहा है.
महाराष्ट्र से आए गौतम वाने कहते हैं कि इस एग्जाम सिस्टम से, प्रशासन से और काबिल जगहों पर बैठे हर उस शख्स से बस यही पूछना चाहते हैं कि आखिर हम तैयारी करें या प्रदर्शन. गौतम कहते हैं हम सरकार से सिर्फ परीक्षा में बैठने का मौका मांग रहे हैं, नौकरी नहीं.
‘’हम तैयारी कर रहे थे, फिर हमें पता चला कि फॉर्म ही रिजेक्ट हो गए हैं, जिसका असर हमारी मानसिक स्थिति पर भी पड़ा है. हम सरकार से नौकरी नहीं मांग रहे, सिर्फ मॉडिफिकेशन लिंक की जायज मांग कर रहे हैं, ताकि हमें परीक्षा में बैठने का मौका तो मिल जाए.’’गौतम वाने, प्रदर्शनकारी आवेदक, महाराष्ट्र
मॉडिफिकेशन लिंक की मांग कर रहे हैं छात्र
गोविंद मिश्रा का कहना है कि पिछले साल जब RRB ग्रुप डी की भर्ती आई थी तब भी ऐसी ही शिकायत आई थी. लेकिन बाद में संगठित प्रदर्शन और मांग रखने के बाद मॉडिफिकेशन लिंक दिया गया था. इस बार भी छात्रों की मांग है कि मॉडिफिकेशन लिंक जल्द से जल्द दिया जाए ताकि ये कंफर्म हो सके कि तैयारियां बेकार नहीं जा रही हैं.
कर्नाटक से आए देवीदास और यूपी से आए सुमित राठौड़ कहते हैं कि फरवरी में फॉर्म भरा था, फॉर्म भरते वक्त तो कुछ नहीं पता चला लेकिन सितंबर के शुरुआती हफ्ते में मैसेज आया कि आपका सिग्नेचर ही इनवेलिड है.
पूरी तैयारी के बाद बता रहे हैं कि सिग्नेचर ही गलत है, अब हम कई जगह प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन कोई फायदा मिलता नहीं दिख रहा है. मेरी मांग है कि कम से कम पिछले साल की तरह मॉडिफिकेशन लिंक तो दे ही दिया जाए.सुमित राठौड़, प्रदर्शनकारी आवेदक, यूपी
'युवा- हल्ला बोल' से जुड़े रजत कहते हैं कि इन छात्रों ने तैयारी की है. इन 5 लाख छात्रों ने प्रति कैंडिडेट के हिसाब से 500 रुपये का फॉर्म भरा है. ऐसे में रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड को उन पैसों का ही सही इस्तेमाल करते हुए छात्रों की समस्या का समाधान करना चाहिए.
बता दें कि देश में पिछले 45 साल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है. प्राइवेट सेक्टर में छंटनियां हो रही हैं. ऐसे में जहां नौकरी हैं, वहां भी इतने ज्यादा छात्रों से मौका छीन लेना, कहां का इंसाफ है?
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