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सुप्रीम कोर्ट ने आधार की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है. लेकिन कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया है कि आधार को बैंक खातों, मोबाइल फोन या स्कूल में दाखिले के लिए मांगा जाना जरूरी नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब ये साफ हो गया है कि कहां-कहां पर आधार नंबर देना जरूरी है और कहां पर नहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने आधार एक्ट का सेक्शन 57 खारिज करते हुए निजी कंपनियों का अनिवार्य रूप से आधार की मांग पर रोक लगा दी है. कंपनियां आधार के बगैर ग्राहकों को सुविधाओं से वंचित नहीं कर सकती हैं.
भारत में कुछ मोबाइल कंपनियों ने नया सिम खरीदने के लिए आधार वैरिफिकेशन को अनिवार्य कर दिया था. वहीं पुराने ग्राहकों को भी कॉल या एसएमएस के जरिए मोबाइल नंबर आधार से लिंक कराए जाने के लिए जोर दिया जा रहा था. लेकिन अब कोई भी मोबाइल कंपनी ग्राहक से आधार नहीं मांग सकती. इसी तरह प्राइवेट और सरकारी दोनों बैंकों में खाता खुलवाते समय आधार नंबर देने की जरूरत नहीं है. ग्राहक अपनी आइडेंटी के लिए ड्राइविंग लाइंसेंस, राशन कार्ड, पैन कार्ड या कोई दूसरा डॉक्यूमेंट दे सकते हैं.
पिछले दिनों कुछ राज्यों से ऐसी खबर आई थी कि बच्चों के एडमिशन के लिए स्कूल प्रशासन आधार की मांग कर रहा है. आधार के बिना बच्चों को एडमिशन नहीं दिया जा रहा है. लेकिन अब कोर्ट के फैसले के बाद किसी भी स्कूल को आधार मांगने का हक नहीं है. ऐसे ही CBSE/UGC/NEET के एग्जाम के लिए भी अब आधार नंबर देना अनिवार्य नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने आधार की अनिवार्यता पर पूरी तरह से बैन नहीं लगाया है. कुछ सेवाओं का फायदा उठाने के लिए आधार होना आवश्यक है. जैसे- पैन कार्ड, इनकम टैक्स रिटर्न या सब्सिडी वाली सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार चाहिए.
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने, पैन कार्ड बनवाने और सभी सब्सिडी वाली सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार चाहिए होगा.
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