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क्विंट के #TalkingStalking चुप्पी तोड़ो कैंपेन को बड़ी कामयाबी मिली है. स्टॉकिंग को गैर-जमानती अपराध बनाने के लिए दिल्ली विधानसभा में एंटी-स्टॉकिंग बिल प्रस्ताव पास कर दिया गया है. क्विंट लंबे समय से स्टॉकिंग को गैर-जमानती अपराध बनाने के लिए लड़ रहा है. हमने इस बाबत आम आदमी पार्टी को एक प्रस्ताव सौंपा था. बीते कुछ महीनों के दौरान इस अभियान में कई ऐसी लड़कियां जुड़ीं जो स्टॉकिंग के खिलाफ खड़ी हुई थीं. क्विंट ने उन लड़कियों का साथ दिया और उनकी मुश्किल को एक्सपर्ट्स के जरिए सुलझाने की कोशिश भी की.
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इससे पहले आम आदमी पार्टी के महिला संगठन ने एक आयोजन किया जिसमें स्टॉकिंग-विरोधी बिल की जरूरत महसूस करते हुए पार्टी के बड़े नेताओं ने शिरकत की. क्विंट ने इसे आयोजित करने में मदद की जिसमें, सीईओ रितु कपूर और लीगल रिपोर्टर वकाशा सचदेव भी शामिल हुए.
#TalkingStalking मुहिम को क्विंट, अगस्त 2017 से चला रहा है जिसके जरिए स्टॉकिंग से लड़ने वाले लोगों को सामने आने और अपनी बात कहने के लिए प्रेरित किया जाता है. तमाम ऐसे लोगों से बात करके मालूम हुआ कि स्टॉकिंग के महज 20 फीसदी केस ही रिपोर्ट होते हैं.
क्विंट को इस मिशन में डॉ. शशि थरूर और कामिनी जायसवाल का साथ भी मिला है. वरिष्ठ वकील कामिनी जायसवाल के साथ मिलकर क्विंट ने एक ड्राफ्ट तैयार किया है जिसमें स्टॉकिंग को गैर-जमानती अपराध बनाने का प्रस्ताव है. इसमें उन दलीलों को शामिल किया गया है जो स्टॉकिंग जैसे गंभीर अपराध को जमानती अपराध की श्रेणी से बाहर निकालने की वकालत करते हैं. क्विंट ने डॉ. शशि थरूर के दफ्तर के साथ मिलकर इस संबंध में एक प्राइवेट मेंबर बिल तैयार किया जिसे संसद में दाखिल कर दिया गया है.
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स्टॉकिंग एक जमानती अपराध है. जिसकी वजह से स्टॉकर, बिना किसी गहरी जांच-पड़ताल के जमानत पर छूट जाते हैं. इसका एक असर ये भी होता है कि स्टॉकिंग का सामना करने वाले लोगों के लिए बड़ा खतरा पैदा हो जाता है जैसे एसिड अटैक, रेप या हत्या तक.
यही वजह है कि क्विंट ने वर्णिका कुंडू के साथ मिलकर change.org पर एक पिटीशन जारी की है जिसे 1 लाख 70 हजार लोग साइन कर चुके हैं. क्विंट इस पिटीशन के जरिए गृहमंत्री राजनाथ सिंह से अपील करता है कि स्टॉकिंग को एक गैर-जमानती अपराध बनाने संबंधित कानून जल्द से जल्द लाया जाए.
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