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इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने संसद को बताया कि आरोग्य सेतु ऐप (Arogya Setu App) के माध्यम से इकठ्ठा किए गए नागरिकों के संपर्क ट्रेसिंग डेटा को हटा दिया गया है और यह सुविधा डीएक्टिवेट कर दी गई है.
आरोग्य सेतु ऐप को 2020 में कोविड -19 महामारी की पहली लहर के दौरान केंद्र द्वारा एक संपर्क ट्रेसिंग प्लेटफॉर्म (Contact Tracing Platform) के रूप में लॉन्च किया गया था. आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के साथ एकीकरण के बाद यह एक बड़े स्वास्थ्य ऐप में बदल गया है.
आरोग्य सेतु के डेटा का इस्तेमाल कैसे किया गया?: बुधवार (8 फरवरी) को कांग्रेस सांसद अमर सिंह ने आरोग्य सेतु द्वारा एकत्र किए गए डेटा को नियंत्रित करने वाले मौजूदा कानून या प्रोटोकॉल का विवरण और उस डेटा तक पहुंच रखने वाली सरकारी या निजी एजेंसियों, संगठनों, संस्थानों और व्यक्तियों की सूची मांगी.
सरकार का जवाब: इसके जवाब में राजीव चंद्रशेखर ने कहा, “आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत गठित राष्ट्रीय कार्यकारी समिति ने 29.3.2020 को एक आदेश जारी किया, जिसमें दूसरों के बीच, समस्या क्षेत्रों की पहचान करने और प्रभावी समाधान के लिए प्रौद्योगिकी (टेक्नोलॉजी) और डेटा प्रबंधन (Data Management) पर एक अधिकार प्राप्त समूह का गठन किया गया और कोविड-19 महामारी के संबंध में इन योजनाओं को प्रभावी और समय से लागू करने के लिए सभी जरुरी कदम उठाए.
अधिकार प्राप्त समूह के एक निर्णय के मुताबिक, इसके अध्यक्ष ने आरोग्य सेतु मोबाइल एप्लिकेशन द्वारा डेटा के सुरक्षित संग्रह को सुनिश्चित करने, व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आरोग्य सेतु डेटा एक्सेस और नॉलेज शेयरिंग प्रोटोकॉल, 2020 को अधिसूचित करते हुए दिनांक 11.5.2020 को एक आदेश जारी किया जिसमें व्यक्तिगत या गैर-व्यक्तिगत डेटा का कुशल उपयोग और शेयर करना शामिल था."
इसके बाद उन्होंने बताया कि आरोग्य सेतु डेटा एक्सेस एंड नॉलेज शेयरिंग प्रोटोकॉल, 2020 के मुताबिक आरोग्य सेतु मोबाइल एप्लिकेशन के कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग फीचर को बंद कर दिया गया है और इसके माध्यम से एकत्र किए गए कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग डेटा को हटा दिया गया है.
आरोग्य सेतु को लेकर क्या चिंताएं थीं?: मुख्य रूप से दो चिंताएं थीं: ऐप की अनिवार्य प्रकृति, और इसके डेटा संग्रह (डेटा कलेक्शन) और शेयरिंग से निकलने वाले प्राइवेसी इश्यूज
अन्य बातों के साथ-साथ आरोग्य सेतु शुरू में रेल और हवाई यात्रा के लिए अनिवार्य था, और इसके इर्द-गिर्द कई चिंताएं उठाई गई थीं. उदाहरण के लिए रेल सेवाओं का लाभ उठाने वाले लोगों के पास स्मार्टफोन नहीं हो सकता है, जो ऐप का इस्तेमाल करने के लिए आवश्यक था. वास्तव में, न केवल सरकारी निकाय, बल्कि जोमेटो और स्विगी जैसी कई निजी संस्थाओं ने अपने डिलीवरी कर्मचारियों के लिए ऐप इंस्टॉल करना अनिवार्य कर दिया था, और अपने प्लेटफॉर्म पर खाने के ऑर्डर देने वाले ग्राहकों को इसका स्टेटस दिखाया गया.
ऐप को काम करने के लिए आवश्यक डेटा की प्रकृति को देखते हुए लोगों ने गोपनीयता संबंधी चिंताओं को भी उठाया. जबकि सरकार ने दावा किया था कि डेटा को एन्क्रिप्ट किया गया था. हालांकि यह साफ नहीं था कि अज्ञात बनाने के लिए कौन से प्रोटोकॉल का क्या इस्तेमाल किया जा रहा था.
ऐप ने एक स्टैटिक एनोनिमाइजेशन आईडी की भी पेशकश की, जिसके बारे में गोपनीयता विशेषज्ञों ने दावा किया कि यह डायनेमिक एनोनिमाइजेशन आईडी की तुलना में एक कमजोर मॉडल था, जो कि ऐप्पल और गूगल द्वारा लॉन्च किए गए कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग टूल पर पेश किए जा रहे थे.
ऐप के इस्तेमाल पर कोर्ट ने क्या कहा?: ऐप की अनिवार्य प्रकृति और इसके डेटा संग्रह प्रथाओं के खिलाफ 2020 में कर्नाटक उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी. अदालत ने ऐप के इस्तेमाल पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन यह माना कि केंद्र किसी नागरिक को इस आधार पर किसी भी सेवा से वंचित नहीं कर सकता है कि उपयोगकर्ता के पास आरोग्य सेतु नहीं है.
अदालत ने यह भी कहा कि आरोग्य सेतु एप्लिकेशन के माध्यम से इकठ्ठा किए गए डेटा को अन्य पक्षों के साथ शेयर नहीं किया जा सकता है, जो उपयोगकर्ताओं को प्रस्तुत की प्राइवेसी पॉलिसी में साफ है.
आरोग्य सेतु के लिए आगे क्या?: जब यह लॉन्च हुआ, तो प्राइवेसी एक्टिविस्टों ने अनुमान लगाया था कि आरोग्य सेतु में 'फंक्शन क्रीप' की एक महत्वपूर्ण गुंजाइश थी. इसका मतलब यह है कि ऐप का इस्तेमाल, अंततः, मूल उद्देश्य से अलग उद्देश्य के लिए किया जा सकता है.
पिछले फरवरी में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने आरोग्य सेतु ऐप के साथ अपने प्रमुख आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के एकीकरण की घोषणा की, जिससे उपयोगकर्ता ऐप से 14-अंकीय अद्वितीय आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता संख्या बना सकते हैं.
(न्यूज इनपुट्स - इंडियन एक्सप्रेस)
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