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Chaitra Navratra: आज है मां शैलपुत्री का दिन, जानें पूजा की विधि 

Chaitra Navratra 2019: आज है मां शैलपुत्री का दिन, जानें पूजा की विधि

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Chaitra Navratri 2019: आज है मां शैलपुत्री का दिन
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Chaitra Navratri 2019: आज है मां शैलपुत्री का दिन
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आज देश भर में चैत्र नवरात्र बहुत ही धूम-धाम के साथ मनाया जा रहा है. नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप माता शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है.

मार्केण्डय पुराण के अनुसार, पर्वतराज यानी कि शैलराज हिमालय की पुत्री होने की वजह से इनका नाम शैलपुत्री पड़ा. 'शैल' का अर्थ होता है चट्टान और 'पुत्री' का मतलब है बेटी.

मां शैलपुत्री बैल की सवारी करती हैं और इनके दाएं हाथ में में त्रिशूल और बाएं में कमल होता है. इसके अलावा वह अपने माथे पर चांद भी पहनती हैं.

मान्यता है कि आज के दिन माता मां शैलपुत्री की पूजा और उनके मंत्र का 11 बार जाप करने से व्यक्ति का मूलाधार चक्र जाग्रत होता है.

इस मंत्र का करें जाप

वन्दे वाञ्छिक लाभाय चंद्र अर्धकृत शेखराम्।

वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम्।।

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इस तरह करें मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना

आज यानी चैत्र नवरात्र के पहले दिन लोग माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है.

  • पूजा करने से पहले उस स्थान को अच्छे से साफ कर लें जहां बैठ कर आप पूजा करेंगे. एक लकड़ी की चौकी पर माता शैलपुत्री की तस्वीर स्थापित करें.
  • कलश स्थापना के लिए लकड़ी की चौकी पर साफ लाल कपड़ा डालें और हाथ में पुष्प लेकर इस मंत्र को पढ़ते हुए माता शैलपुत्री का ध्यान करें. मंत्र ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ओम् शैलपुत्री देव्यै नम: है.
  • थोड़े चावल लेकर भगवान गणेश का ध्यान करते हुए कपड़े पर रख दें.
  • जिस कलश की स्थापना करनी है उसमें जल भरें, आम के पत्ते लगाएं और पानी वाला नारियल उस पर लगा दें.
  • कलश पर रोली से स्वास्तिक बनाएं और अब कलश की स्थापना करें. नारियल पर कलावा और चुनरी बांधें.
  • इसके बाद एक तरफ मिट्टी फैलाएं और उसमें जौं डालें.
  • माता को कुमकुम लगाएं, चुनरी चढ़ाएं और घी का दिया जला दें. सुपारी लौंग आदि का भोग लगाएं.
  • अब व्रत का संकल्प लें और माता शैलपुत्री की कथा पढ़ें.

कलश की स्थापना करते समय इन बातों का रखें ध्यान

घट स्थापना सुबह की जाती है. 9 दिनों तक कलश वहीं रखा जाता है. कलश की स्थापना के लिए आपको चावल, सुपारी, मौली, रोली, केसर, पान, इलायची, लौंग, इत्र, चंदन, चौकी, सिंदूर, लाल वस्त्र, धूप, दीप, फूल, गुलाल, सुगंधित पुष्प, रूई, नारियल आदि चीजों की जरूरत होती है. बेहतर रहेगा अगर आप पहले ही ये सभी सामग्रियां एकत्र कर लें.

कलश पर स्वास्तिक बनाया जाता है और मौली बांधकर उसके नीचे गेहूं या चावल डालकर रखा जाता है. उसके ऊपर लोग नारियल भी रखते हैं.

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Published: 06 Apr 2019,10:41 AM IST

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