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प्रेस क्लब में एक्टिविस्ट टीम को कश्मीर वीडियो दिखाने से रोका गया

बाद में ‘कश्मीर केज्ड’ शीर्षक वाली इस फिल्म को यूट्यूब पर जारी किया गया.

मानवी
भारत
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प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में कविता कृष्णन, जीन ड्रेज, मैमूना मोल्लाह और विमलभाई
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प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में कविता कृष्णन, जीन ड्रेज, मैमूना मोल्लाह और विमलभाई
(फोटो: मानवी/क्विंट)

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दिल्ली में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने कार्यकर्ताओं की एक टीम को बुधवार 14 अगस्त को उन तस्वीरों और वीडियो की स्क्रीनिंग करने मना कर दिया, जिन्हें इन लोगों ने अपनी कश्मीर यात्रा के दौरान रिकॉर्ड किया था. इस टीम में मशहूर अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज, और कविता कृष्णन, मैमूना मोल्लाह और विमलभाई जैसे एक्टिविस्ट शामिल थे.

सरकार की ओर से आर्टिकल 370 को रद्द करने के ऐलान के बाद जम्मू-कश्मीर में इस टीम ने पांच दिवसीय यात्रा की थी. इसी यात्रा के आधार पर टीम को फोटो और वीडियो के साथ एक रिपोर्ट पेश करना था. लेकिन उन्हें ऐसा करने से रोक दिया गया. बाद में 'कश्मीर केज्ड' शीर्षक वाली इस फिल्म को यूट्यूब पर जारी किया गया.

ज्यां द्रेज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “प्रेस क्लब ऑफ इंडिया द्वारा 10 मिनट की फिल्म को दिखाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया गया. इसे बाद में सर्कुलेट किया जाएगा.”

यहां देखें पूरी प्रेस कॉन्फ्रेंस -

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया की अनुमति से इनकार करने पर एक सवाल का जवाब देते हुए कृष्णन ने कहा कि प्रेस क्लब के अधिकारियों ने अनौपचारिक रूप से उन्हें बताया कि स्क्रीनिंग को रोकने के लिए उन पर "निगरानी और दबाव" था.

"प्रेस क्लब ने हमें बताया कि हम प्रोजेक्टर का इस्तेमाल नहीं कर सकते. निजी तौर पर उन्होंने हमें बताया, कि यहां भी निगरानी है और वे दबाव में हैं. जो कुछ हो रहा है, अगर हम उसे प्रेस क्लब में नहीं दिखा सकते, तो हम कहां दिखाएंगे?"

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रिपोर्ट बताती है- घाटी में आक्रोश, संचार पर पाबंदी हटाने की मांग

टीम द्वारा जारी की गई रिपोर्ट को "कश्मीर केज्ड" शीर्षक दिया गया है और कहा गया है कि कश्मीर की अपनी पांच दिवसीय यात्रा के दौरान, उन्होंने आर्टिकल 370 को रद्द करने की सरकार की घोषणा के खिलाफ "तेज और असल में हर तरफ एक जैसे गुस्से" का अवलोकन किया. रिपोर्ट में श्रीनगर के डाउन टाउन में सफाकदल के एक व्यक्ति  के हवाले से कहा गया है, "सरकार ने हम कश्मीरियों के साथ गुलामों की तरह बर्ताव किया है, हमारी जिंदगी और हमारे भविष्य के बारे में फैसले लिए जा रहे हैं, जबकि हम बंदी हैं."

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि घाटी में भारतीय मीडिया के खिलाफ व्यापक गुस्सा है. निष्कर्ष में, लेखकों की ओर से, रिपोर्ट में मांग की गई है कि आर्टिकल 370 और आर्टिकल 35 ए की तुरंत दोबारा बहाली और राज्य में संचार की बहाली की जाए.

विरोध प्रदर्शन के मुद्दे पर, रिपोर्ट में कहा गया है कि 9 अगस्त 2019 को सौरा (श्रीनगर) में 10,000 लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया. टीम ने श्रीनगर के एसएमएचएस अस्पताल में पैलेट गन से जख्मी हुए दो पीड़ितों से बात की.

रिपोर्ट में कश्मीरी मीडिया पर पाबंदी की बात भी कही गई है. रिपोर्ट में एक पत्रकार के हवाले से कहा गया है, “यह अघोषित सेंसरशिप है. अगर सरकार पुलिस को इंटरनेट और फोन कनेक्टिविटी दे रही है लेकिन मीडिया हाउस को नहीं दे रही है, तो इसका क्या मतलब है? "

टीम ने कश्मीर के अखबार 'राइजिंग कश्मीर' के दफ्तर में बीजेपी के कश्मीरी मामलों के प्रवक्ता अश्विनी कुमार चुंगरू से भी मुलाकात की. हालांकि, बैठक के आखिर में चुंगरू ने ज्यां द्रेज को "राष्ट्र-विरोधी" करार दिया.

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Published: 14 Aug 2019,07:18 PM IST

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