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भारत सरकार ने 18 सितंबर से लेकर 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाने की घोषणा की है. इस विशेष सत्र के दौरान सरकार की कोशिश चार अहम बिल को पास कराने की है. इन चार बिलों में अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2023, (Advocates (Amendment) Bill, 2023') भी शामिल है.
तो आखिर क्या है अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक- 2023? इसके बारे में आपको विस्तार से बताते हैं.
अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2023 पहले ही 13 अगस्त को राज्यसभा से पारित कर दिया गया है. इसका मकसद एक ही एक्ट से कानूनी पेशे को रेगुलेट करना और "दलालों" को टारगेट करना है. इस बिल की मदद से अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में बदलाव किया जाएगा और इससे एक ही कानून के जरिए अब कानूनी पेशे को रेगुलेट करने में मदद मिलेगी.
इससे कानून की किताब में मौजूद अनावश्यक अधिनियमों की संख्या कम हो जाएगी.
इस विधेयक के माध्यम से सरकार लीगल प्रैक्टिशनर्स एक्ट, 1879 को निरस्त और अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में संशोधन करना चाहती है. सरकार ने इसके लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के साथ सलाह-मशवरा भी किया है.
विधेयक पास होने के बाद अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में ही लीगल प्रैक्टिशनर्स एक्ट, 1879 की धारा 36 के प्रावधानों को शामिल कर दिया जाएगा.
राज्यसभा में विधेयक पर बहस का जवाब देते हुए केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि कानूनी पेशा एक महान पेशा है और गैरकानूनी प्रथाओं से सख्ती से निपटा जाना चाहिए. इ
पहले आपको बताते हैं कि इस संदर्भ में 'दलाल' किसे मानेंगे. दरअसल जो भी पैसा लेकर बदले में किसी कानूनी व्यवसायी के लिए क्लाइंट लाते हैं, वे दलाल कहे जाते हैं. ये जजों, वकीलों और वादियों को प्रभावित करते हैं.
लीगल प्रैक्टिशनर्स एक्ट की धारा 36 अदालतों में दलालों की सूची तैयार करने और प्रकाशित करने की शक्ति प्रदान करती है. नया विधेयक इस प्रावधान को बरकरार रखेगा. यानी प्रत्येक हाई कोर्ट और जिला न्यायाधीश दलालों की सूची तैयार और प्रकाशित कर सकते हैं.
अगर यह बिल पास हो गया तो, ऐसी दलालों की सूची में शामिल किसी व्यक्ति को अदालत परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी. इस प्रावधान का उल्लंघन करने पर तीन महीने तक की कैद और जुर्माने की सजा होगी.
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