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48 साल बाद देश में एक बार फिर इतिहास रचा गया है. जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद नरेंद्र मोदी तीसरे शख्स हैं, जो लगातार दूसरी बार बहुमत की सरकार बनाने जा रहे हैं. साथ ही आजाद भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा, जब कोई गैर-कांग्रेसी पार्टी लगातार दूसरी बार बहुमत से सरकार बनाएगी.
2014 में मोदी लहर के बाद 2019 में भी मोदी लहर कायम रही. बीजेपी ने पहले से ज्यादा बड़ी जीत के साथ वापसी की है. 2014 में बीजेपी ने 282 सीटें जीतीं थी. इस बार पार्टी इससे भी ज्यादा सीटें जीत रही है. यानी बहुमत से ज्यादा.
आजाद भारत में पहला लोकसभा चुनाव साल 1952 में हुआ. तब 489 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस ने 364 सीटें जीतीं. पंडित जवाहरलाल नेहरू आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री बने. अब अगर बात 1957 की करें तो नेहरू फिर से चुनाव मैदान में थे. देश एक कठिन दौर से गुजर रहा था क्योंकि प्रधानमंत्री नेहरू को 1955 में हिंदू विवाह कानून पास होने के बाद पार्टी के भीतर और बाहर दक्षिणपंथी विचारधारा से लड़ना पड़ रहा था.
नेहरू ने अपने कार्यकाल में आधुनिक मूल्यों और सोच को लेकर आधुनिक भारत को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वह एक समाज सुधारक भी थे. इस संबंध में उनके प्रमुख कार्यों में से एक कार्य प्राचीन हिंदू नागरिक संहिता में सुधार करना था.
नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री के निधन के बाद आजाद भारत के 20 साल के राजनीतिक इतिहास में कांग्रेस पार्टी का जलवा बेरंग होना शुरू हुआ. कांग्रेस छह राज्यों में विधानसभा चुनाव हार गयी. इन छह राज्यों में से तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में कांग्रेस सबसे पहले हारी थी. लेकिन 1967 में नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी लोकसभा की कुल 520 सीटों में से 283 सीटें जीतने में कामयाब रहीं. आम चुनाव में इंदिरा गांधी की यह पहली जीत थी.
अब 2010 और 2014 के दौर की बात करें जब यूपीए सरकार कई मामलों में भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रही थी. इसी दौरान बीजेपी ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को 2014 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया. देशभर में विकास के वादे के साथ बीजेपी 2014 में 282 सीटों पर जीतने में कामयाब रही. उसे अकेले बहुमत मिला. हालांकि चुनाव पूर्व गठबंधन के मुताबिक सरकार बनी. 2019 में बीजेपी को 2014 से भी ज्यादा सीटें मिलीं. यानी बीजेपी लगातार दूसरी बार अपने बल पर बहुमत की सरकार बनाने की स्थिति में है. हालांकि एक बार फिर चुनाव पूर्व गठबंधन के आधार पर सरकार बनने की उम्मीद है.
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