Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Ahmedabad Blast Case:फांसी की सजा के खिलाफ लड़ेंगे कानूनी लड़ाई-मौलाना अरशद मदनी

Ahmedabad Blast Case:फांसी की सजा के खिलाफ लड़ेंगे कानूनी लड़ाई-मौलाना अरशद मदनी

मामले में स्पेशल कोर्ट द्वारा 38 दोषियों को मौत और 11 को उम्रकैद की सजा हुई है

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>Ahmedabad Blast Case:फांसी की सजा के खिलाफ लड़ेंगे कानूनी लड़ाई-मौलाना अरशद मदनी</p></div>
i

Ahmedabad Blast Case:फांसी की सजा के खिलाफ लड़ेंगे कानूनी लड़ाई-मौलाना अरशद मदनी

(फोटो- अल्टर्ड बाई क्विंट हिन्दी)

advertisement

अहमदाबाद (Ahmedabad) बम धमाकों के मामले में एक स्पेशल कोर्ट द्वारा 38 दोषियों को मौत की सजा और 11 को उम्रकैद का फैसला सुनाए जाने के बाद जमीअत-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि स्पेशल कोर्ट का यह फैसला अविश्वसनीय है, हम सजा के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे और इस मामले में कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे. उन्होंने आगे कहा कि देश के नामी वकील, दोषियों को फांसी से बचाने के लिए मजबूती से कानूनी लड़ाई लड़ेंगे.

हमें यकीन है कि इन लोगों को हाईकोर्ट से पूरा न्याय मिलेगा, पहले भी कई मामलों में निचली अदालतों से सजा पाए दोषी हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट से बाइज्जत बरी हो चुके हैं.
मौलाना अरशद मदनी, अध्यक्ष, जमीअत-उलेमा-ए-हिंद

उन्होंने ने आगे कहा कि इसका एक बड़ा उदाहरण अक्षरधाम मंदिर हमले का मामला है, जिसमें निचली अदालत ने मुफ्ती अब्दुल कय्यूम सहित 3 को फांसी की सजा सुनाई थी और 4 को उम्र कैद की सजा दी गई थी. उसके बाद गुजरात हाई कोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा थो लेकिन जब केस सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और वहां हमने अपनी बात रखी तो सुप्रीम कोर्ट ने ना सिर्फ सभी लोगों को बाइज्जत बरी किया बल्कि कोर्ट ने निर्दोष लोगों को झूठे तरीके से बम ब्लास्ट में फंसाने की साजिश करने पर गुजरात पुलिस को भी कड़ी फटकार लगाई थी.

मौलाना अरशद मदनी का कहना है कि बम धमाकों जैसे ज्यादातर गंभीर मामलों में निचली अदालत कठोर फैसले देती हैं, लेकिन आरोपी को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से हमेशा राहत मिलती है. हमें उम्मीद है कि इस मामले में भी आरोपियों को राहत मिलेगी. अगर जरूरत पड़ी तो हम इस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.
मौलाना अरशद मदनी, अध्यक्ष, जमीअत-उलेमा-ए-हिंद
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

इससे पहले के मामलों का जिक्र करते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि पहले जिन 11 आरोपियों को निचली अदालतों और उच्च न्यायालयों द्वारा मौत की सजा सुनाई गई थी, उनके बाद जमीयत उलमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ा और एक भी आरोपी को फांसी नहीं दी गई थी.

उन्होंने कहा कि इससे पहले अमेरिकी वाणिज्य दूतावास पर हमले के मामले में सात लोगों को मौत की सजा और एक आरोपी को मुंबई सत्र अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी. लेकिन जमीयत उलमा-ए-हिंद की कोशिशों से सात आरोपियों को सम्मानजनक रूप से बरी कर दिया गया था, जबकि दो व्यक्तियों की सजा को सात साल कर दिया गया था.

उन्होंने कहा हमें उम्मीद है कि हम इस मामले के आरोपियों को भी सुप्रीम कोर्ट से फांसी और उम्र कैद की सजा से बचाने और उन्हें बाइज्जत बरी कराने में कामयाब होंगे.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT