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AIIMS का कोरोना वैक्सीन ट्रॉयल,लोगों में पहले से मौजूद एंटीबॉडीज

एंटीबॉडीज, शरीर में संक्रमण को रोकने में मदद करने वाले इम्यून सिस्टम के प्रोटीन हैं.

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एंटीबॉडीज, शरीर में संक्रमण को रोकने में मदद करने वाले इम्यून सिस्टम के प्रोटीन हैं
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एंटीबॉडीज, शरीर में संक्रमण को रोकने में मदद करने वाले इम्यून सिस्टम के प्रोटीन हैं
(फोटो: iStock)

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दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में कोरोना वायरस वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू हो चुका है, लेकिन इसमें डॉक्टरों के सामने एक ऐसी परिस्थिति आ गई है, जो अच्छी भी है और मुश्किल भी. द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रायल में शामिल कुछ वॉलन्टियर्स में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज पहले से मौजूद हैं. ये सामने आने से वॉलन्टियर्स ढूंढना मुश्किल हो गया है.

एंटीबॉडीज, शरीर में संक्रमण को रोकने में मदद करने वाले इम्यून सिस्टम के प्रोटीन हैं.

एम्स में स्वदेशी कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन (COVAXIN) का ट्रायल शुरू हो चुका है. इसके लिए 100 वॉलन्टियर्स को ट्रायल के लिए लिया गया है. रिपोर्ट ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि ट्रायल के लिए 3500 लोगों ने रजिस्टर कराया था, जिसमें 50 फीसदी से ज्यादा दूसरे राज्यों से थे.. सभी लोगों को पहले से मौजूद किसी बीमारी और कोविड एंटीबॉडीज के लिए कंपल्सरी स्क्रीनिंग से गुजरना होता है.

दिल्ली-एनसीआर से वॉलन्टियर्स के फर्स्ट बैच की स्क्रीनिंग में सामने आया है कि उनमें से कई में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज पहले से मौजूद हैं, जिसके कारण वो ट्रायल के लिए योग्य नहीं हैं. एम्स ट्रायल के लिए स्थानीय लोगों को इसलिए सलेक्ट कर रहा है, ताकि उन्हें आसानी से मॉनिटर किया जा सके.

हालांकि, वॉलन्टियर्स में एंटीबॉडीज का मिलना अच्छी बात है. इसका मतलब है कि कई लोग बिना लक्षण दिखे संक्रमित हो चुके हैं.

एम्स के पूर्व डीन डॉ एनके मेहरा ने पब्लिकेशन से कहा कि जो लोग संक्रमित हो चुके हैं और एंटीबॉडीज विकसित कर चुके हैं, उन्हें ट्रायल से हटाना जरूरी है, क्योंकि वैक्सीन यही करने की कोशिश करती है. हाल ही में हुए सीरोलॉजिकल सर्वे में सामने आया था कि 23.48 फीसदी लोगों में IgG (इम्युनोग्लोबुलिन G) एंटीबॉडी विकसित हुई थीं, जो दर्शाता है कि वे कोरोना वायरस के संपर्क में थे. डॉ मेहरा ने कहा कि ऐसे लोगों की संख्या इससे ज्यादा हो सकती है.

कुछ समय पहले, एम्स की तरफ से डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने बताया था कि फेज-1 का ह्यूमन ट्रायल 18 साल से लेकर 55 साल के उन लोगों पर किया जाएगा, जिन्हें कोई भी अन्य बीमारी ना हो. इस ट्रायल के लिए कुल 1125 लोगों के सैंपल लिए जाएंगे. जिसके बाद पहले फेज में 375 हेल्दी लोगों पर इसका ट्रायल होगा, वहीं दूसरे फेज में 12 से लेकर 65 साल तक की उम्र के कुल 750 लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल किया जाएगा.

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