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मंगलवार, 2 अगस्त को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का बयान देख किसी के लिए भरोसा कर पाना मुश्क्लि हो रहा था. दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादियों में से एक और अल-कायदा (Al-Qaeda) का सरगना अल जवाहिरी (AL-Zawahiri) अमेरिका के ड्रोन हमले में मारा गया. बाइडेन ने अपने बयान में कहा- "न्याय हो चुका है".
अमेरिका के इस ऐलान के साथ ही वे मौके भी याद आ गए जब अल जवाहिरी ने भारत के खिलाफ जहर उगला था. 2011 में ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद अल-कायदा चीफ की कुर्सी पर बैठने वाले इस आतंकी ने 2 बार वीडियो जारी करके भारत को धमकी दी.
2014 में अपने एक वीडियो में अल-जवाहिरी ने भारत में जिहाद के आधार पर एक संगठन शुरू करने की घोषणा की. इसके जरिए उसने ये मैसेज दिया कि अल-कायदा भारत में रहने वाले अपने मुस्लिम भाईयों को नहीं भूला है. उसने कहा था कि जिहादी ब्रिटिश भारत की सीमाओं को तोड़ देंगे. उसने अपने वीडियो में उपमहाद्वीप में रहने वाले मुसलमानों से एकजुट होने की अपील भी की थी.
अल-कायादा ने मौलाना असीम उमर को उपमहाद्वीप की कमान सौंपी थी. लेकिन 2019 में अफगानिस्तान में इसकी हत्या कर दी गई. अफगानी अधिकारियों ने तब कहा था कि उमर पाकिस्तानी था, लेकिन बाद में पता चला कि ये भारत से ही था. इसका जन्म उत्तर प्रदेश के संभल में हुआ था. AQIS ने भारत में कई खतरनाक आतंकवादी हमलों की जिम्मेदारी ली है. बांग्लादेश में सेक्यूलर ब्लॉगर्स की हत्याएं इसका एक उदाहरण है.
अल-जवाहिरी ने इसी साल अप्रैल में भारत के कर्नाटक में चल रहे हिजाब विवाद के बीच भी अपनी बात कही. उसने मुस्लिमों से फिर एकजुट होने की अपील की थी. अल-कायदा के मुखपत्र अस-साहब मीडिया की तरफ से अप्रैल में जारी लगभग नौ मिनट के वीडियो में, जवाहिरी ने कर्नाटक के छात्र मुस्कान खान की तारीफ की थी जिसने फरवरी 2022 में दक्षिणपंथी हिंदू भीड़ के जय श्री राम के नारे के बाद अल्लाह-हू-अकबर के नारे लगाए थे.
मध्यमवर्गीय परिवार में जन्म: अल-जवाहिरी का जन्म अफगानिस्तान के काहिरा में एक उच्च मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था. अल-जवाहिरी एक लड़ाकू के बजाय बुद्धिजीवी माना जाता था. ऐसा कहा जाता है कि अल-जवाहिरी एक होनहार छात्र था. उसे कविता में रूचि थी और खेलों से नफरत करता था.
सैयद कुतुब से प्रभावित: सिर्फ 14 साल की उम्र में अल-जवाहिरी इस्लामवादी विचारक सैयद कुतुब की शिक्षाओं से आकर्षित होकर, अल-जवाहिरी मुस्लिम ब्रदरहुड में शामिल हो गया. कुतुब की रचनाएं 'मील के पत्थर' और 'कुरान की छाया में' 1966 में शुरू किए गए वैश्विक इस्लामवादी आंदोलन के मूलभूत ग्रंथ हैं.
सर्जन: इसके बाद के सालों में, अल-जवाहिरी एक डॉक्टर के रूप में ट्रेनिंग लेकर एक सर्जन बन गया.
शादी: 1978 में काहिरा विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र की छात्रा अजा नोवारी से शादी कर ली. कॉन्टिनेंटल होटल में आयोजित उसकी शादी में पुरुषों को महिलाओं से अलग कर दिया गया था और फोटोग्राफरों और संगीतकारों को दूर रखा गया था.
अल-कायदा चीफ: 2011 में ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद अल-जवाहिरी अल-कायदा प्रमुख की गद्दी पर बैठा था.
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