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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने बुधवार (5 जुलाई) को कहा कि उसने समान नागरिक संहिता (UCC) पर अपनी आपत्तियां विधि आयोग को भेज दी है. मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी की अध्यक्षता में बुलाई गयी बोर्ड की बैठक में यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध किया गया. AIMPLB ने मांग की है कि न केवल आदिवासियों बल्कि हर धार्मिक अल्पसंख्यक को इस तरह के कानून के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी मेहली ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का मसला सिर्फ देश के मुसलमानों का नहीं बल्कि कई और कम्युनिटी का है. यूसीसी की मुल्क में कोई जरूरत नहीं है, 5 साल पहले भी इसपर चर्चा की जा चुकी है, जिसपर 21 वें लॉ कमीशन ने कहा था कि देश को इसकी जरूरत नहीं है.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक लेटर जारी कर लोगों से उनकी राय मांगी है, जिसमें कहा गया है कि "देश में कॉमन सिविल कोड लागू करने के नाम पर अलग-अलग संस्कृतियों के साथ विभिन्न धर्मों पर हमला करने की कोशिश की जा रही है, जिसपर विधि आयोग सर्वे करके लोगों की राय ले रहा है , हम सभी को इसका विरोध करना है".
इस बैठक में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर AIMPLB ने लॉ कमीशन को ड्राफ्ट भी तैयार करके सौंपा हैं, जिसमें संविधान में मिले अधिकारों का हवाला देते हुए यूसीसी का विरोध किया गया है.
PTI को AIMPLB के प्रवक्ता कासिम रसूल इलियास ने बताया कि बोर्ड की कार्यकारी समिति ने 27 जून को कार्यकारी बैठक में यूसीसी पर तैयार प्रतिक्रिया के मसौदे को मंजूरी दे दी थी और बुधवार को इसे बोर्ड की वर्चुअल आम बैठक में चर्चा के लिए पेश किया गया.
उन्होंने बताया कि इस रिपोर्ट को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी गई, जिसके बाद इसे विधि आयोग को भेज दिया गया है.
AIMPLB ने पहले छह महीने का समय बढ़ाने का अनुरोध किया था.
इलियास ने कहा कि बोर्ड के 251 में से लगभग 250 सदस्यों ने बैठक में भाग लिया, जिसमें उन्हें यूसीसी के खिलाफ व्यक्तिगत रूप से विधि आयोग के समक्ष अपने विचार रखने और अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और अन्य लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कहा गया.
सूत्रों के अनुसार, कानून पर संसदीय समिति के अध्यक्ष और BJP सांसद सुशील मोदी ने सोमवार (3 जुलाई) को पैनल की एक बैठक में पूर्वोत्तर सहित आदिवासियों को किसी भी संभावित समान नागरिक संहिता (UCC) के दायरे से बाहर रखने की वकालत की थी.
AIMPLB की बैठक के बाद हज कमेटी के अध्यक्ष और यूपी सरकार के पूर्व मंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड 'मौलवी पर्सनल लॉ बोर्ड' हैं, ये मुसलमानों का भला नहीं चाहते , सभी समाज के साथ मुस्लिम समाज को एक समान अधिकार मिलने से मौलवी पर्सनल लॉ बोर्ड की दुकानें बंद हो जाएंगी, इसलिए बोर्ड यूसीसी का विरोध कर रहा है.
उन्होने कहा, "मैं आश्वस्त करता हूं कि जैसे ट्रिपल तलाक कानून आया, उसी तरह यूनिफॉर्म सिविल कोड का कानून भी देशहित में और जनहित में आएगा."
जानकारी के अनुसार, UCC को लेकर स्थायी समिति द्वारा सोमवार (3 जुलाई) को बैठक की गई थी. डिजिटलाइजेशन को ध्यान में रखते हुए बोर्ड की तरफ से क्यूआर कोड जारी किया गया है. जिसमें समान नागरिक संहिता को लेकर अबतक 19 लाख लोग संसदीय समिति को इस संबंध में अपने सुझाव भेज चुके हैं.
इस बैठक में कानूनी विभाग, विधायी विभाग और कानून आयोग के प्रतिनिधियों को यूसीसी पर जानकारी देने के लिए बुलाया गया था.
AIMPLB एक प्रमुख मुस्लिम गैर-सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना 1973 में भारत में मुसलमानों के बीच इस्लामी व्यक्तिगत कानून के अनुप्रयोग की रक्षा और प्रचार करने के उद्देश्य से की गई थी.
विधि आयोग ने सार्वजनिक और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों सहित हितधारकों से विचार मांगकर UCC पर नए सिरे से परामर्श प्रक्रिया शुरू की है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में यूसीसी लाने की जोरदार वकालत की और आरोप लगाया कि विपक्ष इस मुद्दे का इस्तेमाल मुस्लिम समुदाय को गुमराह करने और भड़काने के लिए कर रहा है.
(इनपुट-अशहर असरार)
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