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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आलोक वर्मा ने एक बार फिर सीबीआई डायरेक्टर का पदभार संभाल लिया है. मंगलवार को कोर्ट ने वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर के तौर पर बहाल कर दिया था. हालांकि कोर्ट ने कहा था कि वर्मा अभी कोई बड़ा नीतिगत फैसला नहीं ले पाएंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि आलोक वर्मा को हटाने का मामला सरकार को भारत के मुख्य न्यायाधीश, प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता वाली सिलेक्ट कमेटी के पास भेजना चाहिए था. केंद्र सरकार ने 24 अक्टूबर की रात वर्मा को छुट्टी पर भेज दिया था.
केंद्र सरकार ने अक्टूबर, 2018 में सीबीआई के दो शीर्ष अधिकारियों (आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना) के बीच विवाद सामने आने के बाद दोनों को छुट्टी पर भेज दिया था. केंद्र सरकार ने यह फैसला सीवीसी की सिफारिश पर किया था.
इसके साथ ही केंद्र ने सीबीआई के संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को अस्थाई तौर पर इस एजेंसी के निदेशक का कार्यभार सौंप दिया था. इसके बाद आलोक वर्मा ने (23 अक्टूबर 2018) के डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनेल एंड ट्रेनिंग (DoPT) के दो और सीवीसी के एक ऑर्डर को रद्द करने की मांग के साथ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
केंद्र सरकार ने कोर्ट के सामने आलोक वर्मा को उनकी जिम्मेदारियों से हटाकर छुट्टी पर भेजने के अपने फैसले को सही ठहराया था. केंद्र सरकार ने कहा था कि उनके और अस्थाना के बीच टकराव की स्थिति है, जिस वजह से देश की शीर्ष जांच एजेंसी जनता की नजरों में हंसी का पात्र बन रही है.
आलोक वर्मा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कोर्ट बधाई दी थी. उन्होंने कहा था, '' कानून को बरकरार बनाए रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट को बधाई.''
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