advertisement
अलवर के राजगढ़ में मंदिर तोड़े जाने पर सियासत तेज हो गई है. कांग्रेस पर बीजेपी हमलावर है. वहीं, कांग्रेस का कहना है कि सड़क चौड़ीकरण के लिए बीजेपी की पूर्व वसुंधरा राजे सरकार ने ही मंदिर को तेड़ने का प्रस्ताव पास किया था.
राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि राजगढ़ में मंदिर तोड़े जाने को लेकर BJP और RSS के लोग गलत प्रचार और बयानबाजी कर रहे हैं. उस मंदिर के अतिक्रमण को हटाने की शुरुआत पूर्व BJP सरकार वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री थीं तब हुई थी.
डोटासरा ने कहा कि ये केवल धार्मिक उन्माद फैला कर राजनीतिक रोटियां सेक रहे हैं. बीजेपी धार्मिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश कर रही है. इनको दिल्ली से डांट पड़ी है, इसलिए ये ऐसा कर रहे हैं. राजगढ़ में अतिक्रमण बीजेपी बोर्ड ने हटवाया है. इन्होंने गुजरात में मंदिर तोड़े, दिल्ली में तोड़ा इसका कोई जवाब नहीं है. हमने अलवर में कोई कार्रवाई नहीं की है.
वहीं, बीजेपी की तरफ से मामले में बचाव करते हुए उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने बोर्ड के प्रस्ताव का एक अन्य कागज प्रस्तुत करते हुए दावा किया कि प्रस्ताव में जहां प्राचीन मंदिर था, उस जगह रोड को 30 फीट ही रहने देने के लिए कहा गया था.
बीजेपी के राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा और अलवर सांसद बाबा बालकनाथ ने राजगढ़ जाकर इस मामले की लोगों से जानकारी ली. किरोड़ीलाल इस कार्रवाई के विरोध में धरने पर बैठ गए हैं.
यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने राजगढ़ नगर पालिका में बीजेपी का बोर्ड है और उसी ने यह कार्रवाई की है. धारीवाल ने कहा कि एक मंदिर को हटाने पर कोई विरोध नहीं हुआ, लेकिन दूसरे मंदिर को हटाने पर बीजेपी ने तूल दिया. बीजेपी बोर्ड का ही मंदिर हटाने का फैसला था, इसमें सरकार से कोई अनुमति नहीं ली गई. मंदिर हटाने की घटना भी तीन दिन पुरानी है, उस दौरान कुछ नहीं हुआ, अब बीजेपी वाले तूल दे रहे हैं. धारीवाल ने कहा कि ईओ से मामले की तीन दिन में पूरी रिपोर्ट मांगी है.
राजस्थान बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि इस मामले में पार्टी ने 5 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. यह कमेटी मौके पर जाकर तथ्यात्मक रिपोर्ट तैयार कर पार्टी को सौंपेगी, जिसमें सीकर के सांसद सुमेधानंद सरस्वती, पार्टी उपाध्यक्ष नारायण सिंह देवल, विधायक चंद्रकांता मेघवाल, राजेंद्र सिंह शेखावत, बृजकिशोर उपाध्याय और भवानी मीणा शामिल हैं.
उन्होंने ने कहा कि मुझे समझ नहीं आता कि 300 साल पुराना मंदिर कैसे अतिक्रमण हो सकता है. कांग्रेस विधायक ने 34 पार्षदों को लाने की बात कही. ये सारी कार्रवाई सरकार के इशारे पर हुई है.
अशोक गहलोत सरकार में मंत्री प्रतापसिंह खाचरियवास ने कहा कि बीजेपी झूठ बोल रही है. राजगढ़ नगरीय निकाय बोर्ड का चेयरमैन बीजेपी का है. उन्हीं के इशारे पर मंदिर तोड़ा गया है, जबकि हमारे विधायक ने इसका विरोध किया था. खाचरियावास ने कहा कि बीजेपी कसम खाए की मंदिर नहीं तोड़ा. उन्होंने कहा कि मंदिर तोड़ने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आहत हुए हैं. गहलोत जल्द ही मंदिर टूटने की घोषणा कर सकते हैं.
दरअसल, मास्टर प्लान को लेकर नगरपालिका बोर्ड की बैठक हुई थी, जिसके बाद 81 लोगों को अप्रैल में नोटिस जारी किए गए थे. नोटिस में कहा गया था कि सार्वजनिक जगहों पर अतिक्रमित जगहों को खाली कराया जाएगा. 17 अप्रैल को अतिक्रमण हटाया गया था. इसमें मंदिर को भी तोड़ दिया गया. घटना का वीडियो वायरल होने पर हिंदूवादी संगठनों की ओर से प्रदर्शन और विरोध शुरू हुआ है.
वहीं, इस मामले में राजगढ़ से कांग्रेस विधायक का वीडियो सामने आया है, जिसमें जौहरी लाल मीणा ये कहते नज़र आ रहे हैं कि कांग्रेस का बोर्ड होता तो बुलडोजर नहीं चलता. अब बबूल का पेड़ बोया है तो आम कहां से आएगा. आप 34 पार्षदों को मेरे घर लेकर आओ कार्रवाई रुक जाएगी. विधायक के इसी बयान को लोग मंदिर तोड़ने से जोड़ रहे हैं.
हालांकि, इससे पहले राजस्थान के सुजानगढ़ कस्बे में प्रसिद्ध सालासर बालाजी के 'राम दरबार' वाले प्रवेश द्वार को ढहाए जाने पर मचे बवाल के बाद आखिरकार अशोक गहलोत सरकार बैकफुट पर आ गई है. लोक निर्माण विभाग ने एक बार फिर से सालासर बालाजी मंदिर के गेट का निर्माण शुरू करवा दिया है.
गौरव पथ निर्माण के दौरान जिन मंदिरों पर बुलडोजर चला, उन मंदिरो में एक मंदिर किन्नरों के मंदिर के नाम से जाना जाता है. स्थानीय बुजुर्गो ने मंदिर के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि राजस्थान में एकमात्र मंदिर है जो किन्नरों का है. इस मंदिर में सीता-राम और राधा-कृष्ण की जुगल मूर्ति स्थापित थी. मंदिर का निर्माण जयपुर रियासत काल में कराया गया था. राजगढ़ कस्बा बसने से पूर्व इस मंदिर के पास सराय थी. जहां उस काल में लोगों के ठहरने का एकमात्र स्थान था.
मामले में अलवर जिला कलेक्टर ने सरकार को तथ्यात्मक रिपोर्ट भेजी है. रिपोर्ट के मुताबिक, नगर पालिका बोर्ड की दूसरी बैठक में मास्टर प्लान और गौरव पथ में परेशानी बताते हुए 8 सितंबर 2021 को अतिक्रमण हटाने का प्रस्ताव पारित किया गया था. 6 अप्रैल को सभी अतिक्रमण को चिह्रित कर नोटिस जारी किए गए थे.
इस रिपोर्ट में बताया गया कि नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी (EO) ने 12 अप्रैल 2022 को अतिक्रमण हटाने के दौरान पुलिस अमला भी मांगा था. अतिक्रमण हटाने से दो दिन पहले सभी को सूचना दे दी गई थी. जिस मंदिर को लेकर विवाद हो रहा है, उसको लेकर भी रिपोर्ट में दावा किया गया कि हाल ही में उसका निर्माण हुआ था और यह नाले पर बनाया गया था. अतिक्रमण हटाने से पहले ही मूर्तियों को हटा दिया गया था. हटाई गई मूर्तियों की स्थापना अन्य जगह विधि-विधान से राजगढ़ नगर पालिका की ओर से की जा रही है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)