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कोरोना महामारी की वजह से दो साल के बाद इस बार अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra) 29 जून से शुरू हुई है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों का समूह आता है. शुक्रवार, 8 जुलाई को अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने से बड़ा हादसा हो गया, जिसमें 13 श्रृद्धालुओं की मृत्यु हो गई. बता दें कि इससे पहले भी अमरनाथ यात्रा के दौरान तमाम तरह के हादसे हुए हैं, जिसमें कई आतंकी हमले भी शामिल हैं.
साल 1993 में पाकिस्तान स्थित हरकत-उल-अंसार ने अमरनाथ यात्रा पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया. रिपोर्ट के मुताबिक बाबरी मस्जिद के विध्वंस का विरोध करने के लिए और श्रीनगर स्थित हजरतबल दरगाह में बंकरों को हटाने की मांग के साथ ऐसा किया गया था. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल हरकत-उल-अंसार ने तीन श्रृद्धालुओं की हत्या कर दी थी.
साल 2000 में अमरनाथ के पहलगाम बेसकैंप पर एक आतंकी हमला हुआ, जिसको अमरनाथ यात्रा का सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जाता है.
इस दौरान तीर्थयात्रियों पर पहला सीधा हमला हुआ था और 17 तीर्थयात्रियों सहित 25 लोग मारे गए थे. कई रिपोर्ट्स के मुताबिक इस हमले में कुल 32 लोगों की मौत हुई थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक यह हमला लश्कर-ए-तैयबा द्वारा किया गया था. इसमें तीर्थयात्री, दुकानदार और कुली मारे गए थे. दो घंटे चली मुठभेड़ में करीब 60 लोग घायल हुए थे.
20 जुलाई 2001 को एक तीर्थयात्रियों के नाइट कैंप पर आतंकी हमला हुआ. द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक गुफा के पास हुए इस आतंकी हमले में 13 लोगों की मौत हो गई थी. एक आतंकी ने कैंप पर दो ग्रेनेड फेंके और लोगों पर फायरिंग की थी.
रिपोर्ट के मुताबिक यह हमला अमरनाथ मंदिर के पास पवित्र गुफा से पहले सबसे ऊंचे पड़ाव पर शेषनाग के पास किया गया था.
साल 2017 के जुलाई महीने में आतंकवादियों के एक समूह द्वारा यात्रियों से भरी एक बस पर हमला किया गया था. इस दौरान 5 महिलाओं सहित कुल 7 यात्रियों की मौत हो गई और 19 श्रृद्धालु घायल भी हुए थे. आतंकियों ने बस पर घात लगाकर हमला किया था और बस पर चारों तरफ से फायरिंग की गई. जब यात्रियों की बस पर हमला किया गया तो बालटाल से लौट रही थी और अनंतनाग पहुंची थी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले के कुछ दिनों बाद, सरकार ने लोकसभा को बताया कि 1990 के बाद से 27 वर्षों में अमरनाथ यात्रा पर 36 आतंकवादी हमले हुए हैं, जिसमें 53 तीर्थयात्री मारे गए और 167 घायल हुए.
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