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27 जुलाई को अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (Antony Blinken) अपने पहले भारतीय दौरे पर नई दिल्ली पहुंचने वाले हैं. एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी के अनुसार ब्लिंकन इस दौरान भारतीय अधिकारियों के सामने मानवाधिकारों और लोकतंत्र के मुद्दों को उठाएंगे.
यह जानकारी अमेरिका में दक्षिणी और मध्य एशियाई मामलों के लिए कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री डीन थॉम्पसन ने संवाददाताओं के साथ कॉन्फ्रेंस कॉल के दौरान दी.
डीन थॉमसन ने कहा कि "मानवाधिकारों और लोकतंत्र के आपके प्रश्न के संबंध में, हां आप सही कह रहे हैं, मैं आपको बता दूं कि हम इसे उठाएंगे और हम इस बातचीत को जारी रखेंगे, क्योंकि हम दृढ़ता से मानते हैं कि हमारे बीच उस मोर्चे पर अधिक समानताएं हैं".
थॉमसन ने भारत में मानवाधिकार से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा कि "हमारा मानना है भारत उन बातचीतों को जारी रखने और साझेदारी में उन मोर्चों पर और मजबूत प्रयास करने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनने जा रहा है".
थॉमसन ने जोर देकर कहा कि भारत के साथ अमेरिका के संबंध अत्यधिक मजबूत हैं ,जो संयुक्त राज्य अमेरिका में किसी भी राष्ट्रपति के प्रशासन में कायम रहा है और आगे भी रहेगा.
थॉमसन ने कहा कि "हम अपनी वैश्विक व्यापक रणनीतिक साझेदारी को जारी रखने जा रहे हैं और राष्ट्रपति द्वारा अपने कार्यकाल की शुरुआत में ही क्वॉड और भारत के साथ साझेदारी को उच्च प्राथमिकता देना दिखाता है कि भारत के साथ और हमारे अन्य पार्टनर के साथ भी हम क्या हासिल कर सकते हैं. मुझे उम्मीद है कि हभ सभी मोर्चों पर किए गए बातचीत को जारी रखेंगे".
भारत ने पहले ही विदेशी सरकारों और मानवाधिकार समूह के उन आरोपों को खारिज कर दिया है जिसके अनुसार भारत में नागरिक स्वतंत्रता में कमी आई है. भारत सरकार ने जोर देकर कहा है कि भारत में सभी के अधिकारों की रक्षा के लिए अच्छी तरह से स्थापित लोकतांत्रिक प्रथाएं और मजबूत संस्थान हैं.
हालांकि पेगासस खुलासे में भारतीय सरकार पर जासूसी के आरोपों के बीच मानवाधिकार हनन के मुद्दे ने फिर से तूल पकड़ा है.
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