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ईरान के साथ परमाणु करार तोड़ने के बाद अमेरिका भारत, चीन समेत दूसरे देशों पर ईरान से तेल आयात बंद करने के लिए जोर डाल रहा है. आयात बंद करने की तारीख तय की है 4 नवंबर. अमेरिका की धमकी है कि ईरान से तेल मंगाने वाले देशों के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगेगा, रत्ती भर भी ढील नहीं बरती जाएगी.अब भारत ने कहा है कि देश की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत रखने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे. साथ ही भारत सभी से (मतलब है ईरान से) बातचीत जारी रखेगा. आपको पता होगा कि ईरान, भारत का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल सप्लायर है.
तेल खरीदने को मना क्यों कर रहा है अमेरिका?
जुलाई, 2015 में ईरान और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 5 स्थाई सदस्यों के बीच न्यूक्लियर समझौता हुआ था. अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ओबामा ने समझौते के तहत ईरान को परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने के बदले में बैन से राहत दी थी. लेकिन मई, 2018 में ईरान पर ज्यादा दबाव बनाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ये समझौता तोड़ दिया. अब ट्रंप ने ईरान में कारोबार कर रही विदेशी कंपनियों को निवेश बंद करने के लिए कहा है. अमेरिका भारी जुर्माने की भी धमकी दे रहा है.
ईरान से कच्चा तेल आयात, भारत के लिए क्यों अहम?
भारत में इराक, सऊदी अरब के बाद सबसे ज्यादा कच्चा तेल ईरान से मंगाया जाता है. 2017-18 के पहले दस महीनों में यानी अप्रैल, 2017 से जनवरी, 2018 के बीच ईरान से भारत ने 18.4 मिलियन टन कच्चा तेल खरीदा है. ऐसे में ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए ईरान, भारत के लिए बेहद जरूरी है.कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से भारत का आयात खर्च भी बढ़ जाएगा, मतलब डॉलर की मांग भी बढ़ेगी. इससे रुपया गिरेगा और अर्थव्यवस्था पर इसका लंबे समय तक असर होगा.
अमेरिका की धमकी क्या है?
अमेरिकी विदेश विभाग के एक अधिकारी ने साफ कहा है कि सभी देशों को 4 नवंबर तक ईरान से कच्चे तेल का आयात बंद करना होगा. अधिकारी से जब पूछा गया कि क्या भारत और चीन को भी ईरान से तेल का अयात रोकने को कहा गया है, तो उसने कहा, ‘चीन और भारत पर, हां , निश्चित रूप से’. ईरान से कच्चा तेल आयात करने वाले भारत और चीन, दो सबसे बड़े देश हैं. एक सवाल के जवाब में अधिकारी ने कहा कि इन देशों को अभी से ईरान से तेल आयात कम करना चाहिए और 4 नवंबर तक इसे पूरी तरह बंद करना चाहिए. मुश्किल ये है कि अमेरिका के साथ भारत अपने कारोबारी रिश्तों को खराब नहीं करना चाहेगा. अमेरिका के साथ भारत का ट्रेड सरप्लस 28 बिलियन डॉलर है. यानी इंपोर्ट से कहीं ज्यादा भारत, अमेरिका को एक्सपोर्ट करता है.
आगे क्या हो सकता है?
6 जुलाई को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की मीटिंग अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस के साथ थी. इसे ‘2+2 डायलॉग’ का नाम दिया गया था. बताया जा रहा था कि इस मीटिंग में दोनों ही पक्ष ईरान के साथ तेल आयात पर बातचीत कर सकते हैं. लेकिन अब ये मीटिंग स्थगित हो गई है. पोम्पिओ ने सुषमा को फोन कर ‘जरूरी वजहों’ से वार्ता टालने के लिए खेद जताया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ये कह रहे हैं कि इसका ईरान प्रकरण से कोई लेना-देना नहीं हैं. अटकलें लगाई जा रही हैं कि मीटिंग टालने की एक वजह ये भी हो सकती है.
(इनपुट: पीटीआई)
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