Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019दलाई लामा को ‘घर’ देने के लिए भारत को अमेरिका ने कहा शुक्रिया

दलाई लामा को ‘घर’ देने के लिए भारत को अमेरिका ने कहा शुक्रिया

नैंसी पेलोसी ने भी दलाई लामा को जन्मदिन पर शुभकामना दी

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
नैंसी पेलोसी ने भी दलाई लामा को जन्मदिन पर शुभकामना दी
i
नैंसी पेलोसी ने भी दलाई लामा को जन्मदिन पर शुभकामना दी
(फाइल फोटो: PTI)

advertisement

तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के 85वें जन्मदिन पर अमेरिका ने भारत को उन्हें पनाह देने के लिए शुक्रिया कहा है. दलाई लामा 1959 से भारत में रह रहे हैं, जब चीन ने तिब्बत पर हमला किया था और वो भारत आ गए थे. हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला से तिब्बत की निर्वासित सरकार चलती है. भारत में 1 लाख 60 हजार से ज्यादा तिब्बती लोग रहते हैं.

अमेरिका के विदेश मंत्रालय के साउथ और सेंट्रल एशियाई अफेयर्स (SCA) ब्यूरो ने 6 जुलाई को ट्वीट किया, "दलाई लामा को 85वें जन्मदिन की शुभकामना. दलाई लामा ने दुनिया को शांति और दयालुता से प्रेरित किया और तिब्बती लोगों के संघर्ष का प्रतीक बने. हम भारत का शुक्रिया कहना चाहते हैं जो उसने दलाई लामा और तिब्बती लोगों को रहने दिया."

यूएस हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने भी दलाई लामा को जन्मदिन पर शुभकामना दी. पेलोसी ने कहा, "दलाई लामा उम्मीद के दूत हैं, जिनके आध्यात्मिक मार्गदर्शन ने तिब्बती लोगों के मानवाधिकार, भाषा और कल्चर को संजोए रखने में मदद की."

नैंसी पेलोसी ने कहा कि दलाई लामा और तिब्बती लोगों की आकांक्षाएं चीन की दमनकारी सरकार की वजह से पूरी नहीं हो पाईं. 

जनवरी में हाउस डेमोक्रेट्स ने तिब्बती लोगों के धर्म मानने, अपनी भाषा बोलने और अपना कल्चर सेलिब्रेट करने के अधिकारों की सुरक्षा के लिए तिब्बत पॉलिसी एंड सपोर्ट एक्ट पास किया था. इस एक्ट के जरिए अमेरिका की पोजीशन साफ की गई थी कि चीन अगर 14वें दलाई लामा के उत्तराधिकारी को मानने की प्रक्रिया में अड़ंगा डालता है तो इसे तिब्बती लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन माना जाएगा.

'सीनेट को एक्ट पास करना चाहिए'

नैंसी पेलोसी ने कहा कि ये एक्ट सीनेट को भी पास करना चाहिए और अमेरिका, दलाई लामा और तिब्बती लोगों के रिश्तों को समर्थन देना चाहिए.

पेलोसी ने कहा, "इस खास दिन के मौके पर अमेरिका तिब्बती लोगों के प्रति चीन के आक्रमणकारी रवैये का विरोध करने के लिए प्रतिबद्ध है. साथ ही अमेरिका उइगर लोगों, बोलने की आजादी को दबाने और हॉन्गकॉन्ग में हो रहे विरोध को कुचलने की बीजिंग की कोशिशों के खिलाफ खड़ा है."

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT