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बिजनेसमैन आनंद महिंद्रा इडली बनाने वाली इस बुजुर्ग को ढूंढ रहे हैं

कौन हैं ये इडली वाली दादी अम्मा?

क्विंट हिंदी
भारत
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आनंद महिंद्रा मदद करने के लिए 80 साल की एक बुजुर्ग महिला को ढूंढ रहे हैं
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आनंद महिंद्रा मदद करने के लिए 80 साल की एक बुजुर्ग महिला को ढूंढ रहे हैं
(फोटो कोलाज: क्‍विंट हिंदी)

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महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा कभी नए टैलेंट को प्रमोट करने की खातिर, तो कभी लोगों की मदद के लिए अक्सर सुर्खियों में रहते हैं. इस बार आनंद महिंद्रा मदद करने के लिए 80 साल की एक बुजुर्ग महिला को ढूंढ रहे हैं.

आनंद महिंद्रा ने अपने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें एक बुजुर्ग महिला लकड़ी के चूल्हे पर इडली बनाती दिख रही हैं. महिंद्रा इडली वाली दादी अम्मा के बारे में जानकारी हासिल कर उनके इडली वाले बिजनेस में निवेश करना चाहते हैं.

उन्होंने लिखा है:

“मैंने नोटिस किया है कि वो अभी तक लकड़ी के स्टोव का इस्तेमाल करती हैं. अगर कोई जानता है, तो मैं उनके बिजनेस में इंवेस्ट कर उन्हें एलपीजी गैस देना चाहूंगा.”

इस वीडियो को देखने के बाद आनंद महिंद्रा ने कमलाथल के काम की बहुत तारीफ की है. बता दें कि इडली वाली दादी चेन्नई के कोयंबटूर की रहने वाली हैं, जो सिर्फ एक रुपए में लोगों को इडली खिलाती हैं.

आनंद महिंद्रा ने आगे लिखा है, “कुछ कहानियों में से एक आपको आश्चर्यचकित करती है. अगर आप जो करते हैं, वह कमलाथल जैसे लोगों के काम की तरह प्रभावशाली होना चाहिए.”

आनंद महिंद्रा बोले, हमेशा करूंगा मदद

एक यूजर ने आनंद महिंद्रा के ट्वीट पर रिप्लाई करते हुए कहा, ''एलपीजी चूल्हा देना या एलपीजी कनेक्शन देने में कोई परेशानी नहीं है. लेकिन मेरे हिसाब से लगातार एलपीजी गैस मुहैया कराना ज्यादा मददगार होगा.''

यूजर के ट्विट का जवाब देते हुए आनंद महिंद्रा ने कहा, “मुझे उनके पास लगातार एलपीजी गैस पहुंचाने में खुशी होगी. उस इलाके में हमारी कंपनी की टीम ऐसा करेगी, मुझे यकीन है. उनकी सहायता करने में हमें खुशी होगी.”

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'जूतों का डॉक्टर' हो या ऑटोवाला, मिला महिंद्रा का साथ

अब कुछ पुराने मामलों पर एक नजर. वर्ल्ड कप 2019 के सेमीफाइनल से पहले भारत और बांग्लादेश का मैच था. इसी दौरान 87 साल की फैन चारुलता पटेल को आनंद महिंद्रा ने मैच देखने के लिए टिकट का खर्चा उठाने की बात कही थी. इसके अलावा उन्होंने कई आम, लेकिन 'अलग' लोगों की मदद की है.

‘जख्मी जूतों के हस्पताल’ का बोर्ड लगाकर एक शख्स मोची का काम करता था. आनंद हरियाणा के नरसीराम मोची के आइडिया पर फिदा हो गए. 1 महीने के अंदर ही उनकी टीम ने नरसीराम से संपर्क किया और उनके लिए चलती-फिरती दुकान को डिजाइन करने की तैयारी शुरू हो गई. साथ ही उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM) को इस मोची से मार्केटिंग सीखने की सलाह दे डाली.

इससे पहले मई 2017 में उन्होंने एक ऑटोवाले को महिंद्रा स्कॉर्पियो गिफ्ट किया था. दिसंबर 2017 में बोलेरो पर फूड आउटलेट चलाने वाली महिला को एक नई बोलेरो को गिफ्ट की थी.

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