Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019हरियाणा में चर्च पर हमलों की क्रोनोलॉजी समझिए: ग्राउंड रिपोर्ट

हरियाणा में चर्च पर हमलों की क्रोनोलॉजी समझिए: ग्राउंड रिपोर्ट

पिछले एक साल में ईसाइयों पर हमले 75% बढ़ गए हैं,इसे कई राज्यों में धर्म परिवर्तन विरोधी बिल से जोड़कर देखा जा रहा है

फातिमा खान
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>(हरियाणा में क्रिसमस 2021 के आसपास ईसाइयों पर कई हमले हुए)</p></div>
i

(हरियाणा में क्रिसमस 2021 के आसपास ईसाइयों पर कई हमले हुए)

(फोटो- कामरान अख्तर/क्विंट हिंदी)

advertisement

36 साल के गुरुदेव पिछले 18 साल से अपने परिवार और दोस्तों के साथ धूमधाम से क्रिसमस (Christmas) मनाते आ रहे हैं- वह उस दिन लोगों के लिए लंच रखते हैं, सैंटा की तरह तैयार होते हैं और गाते-नाचते खुशियां मनाते हैं.

हरियाणा के कैथल में जन्मे गुरुदेव कुछ साल बाद कुरुक्षेत्र आ गए जहां वह लोकल चर्च में पादरी हैं.

गुरुदेव दलित हैं. जब टीनएजर थे, तब जीसस क्राइस्ट की शिक्षा से इतने प्रभावित हुए कि परिवार समेत उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया. लेकिन गुरुदेव इस बात पर जोर देते हैं कि वह धर्म के किसी भी संगठित रूप से जुड़े हुए नहीं हैं. वह खुद को ईशू या ईसा मसीह का अनुयायी बताते हैं.

लेकिन 25 दिसंबर 2021 का क्रिसमस हर साल से अलग था. गुरुदेव और उनका परिवार जिस तरह क्रिसमस के दिन पड़ोसियों और मोहल्ले के बच्चों के लिए आयोजन करता है, उससे बहुत अलग. गुरुदेव बताते हैं कि क्रिसमस पर हुड़दंगियों ने ऐसा हमला जो पहले कभी नहीं हुआ था.

गुरुदेव द क्विंट से कहते हैं,

“मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकता कि जिस भारत में मैंने जन्म लिया है, वहां कभी ऐसा हो सकता है.”

लेकिन हरियाणा में यह अकेली जगह नहीं थी जहां क्रिसमस के आस-पास ईसाइयों पर हमले हुए. और भी कई जगहों पर ऐसा ही हमला हुआ.

ये हमले उस वक्त हुए हैं, जब 10 राज्यों में विवादास्पद धर्म परिवर्तन विरोधी बिल पास किए गए हैं और ऐसे ही एक बिल का मसौदा हरियाणा में भी तैयार किया जा रहा है.

द क्विंट कुरुक्षेत्र, पटौदी और अंबाला गया, जहां ये घटनाएं हुई थीं ताकि इन हमलों का पैटर्न समझा जा सके.

अगली बार हम तुम्हें नहीं छोड़ेंगे: कुरुक्षेत्र में क्रिसमस कार्यक्रम में रोड़े अटकाए गए

(गुरुदेव, जिनके क्रिसमस आयोजन में हंगामा खड़ा किया गया)

(फोटो- शिव कुमार मौर्या, द क्विंट)

गुरुदेव और कुछ दूसरे लोगों ने क्रिसमस के दिन एक लोकल पार्टी हॉल शाइन एवेन्यू में एक छोटा सा कार्यक्रम रखा था. इसमें बच्चों का डांस परफॉरमेंस था, और फिर आलू-पूरी का लंच.

अभी कार्यक्रम को शुरू हुए आधे घंटे ही हुए थे, जैसे ही बच्चों ने परफॉरमेंस शुरू किया, बजरंग दल के कुछ लोगों का झुंड हॉल में आ धमका. वे लोग स्टेज पर चढ़ गए और जय श्रीराम और हर हर महादेव के नारे लगाने लगे.

वहां 6 से 12 साल के बच्चे थे जो बहुत घबरा गए. उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है. यह सब कैमरा में रिकॉर्ड हो रहा था. इसके बाद इस हादसे का वीडियो वायरल हो गया. उसमें देखा जा सकता है कि भीड़ में लोग हक्का बक्का और परेशान हैं. स्टेज पर चढ़े लोग गुब्बारे फोड़ रहे हैं और बाकी की सजावट को तहस नहस कर रहे हैं.

(कुरुक्षेत्र में क्रिसमस कार्यक्रम में रुकावट पैदा करते लोग)

(फोटो- द क्विंट)

“हमने जल्दी से अपने बच्चों को (स्टेज से) उतारा. हमें डर था कि कहीं उन्हें चोट न आ जाए.”

कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाली सोनिया मेहरा कहती हैं. उनका बच्चा भी स्टेज पर था.

इससे पहले कि कार्यक्रम आयोजित करने वाले लोग पूछते कि यह सब क्या हो रहा है, उन लोगों ने म्यूजिक रोक दिया और उसकी जगह पर हनुमान चालीसा बजाने लगे.

बाद में, राकेश कुमार नाम का एक आदमी, जोकि कुरुक्षेत्र में बजरंग दल के कन्वीनर है, ने खुद ही एक वीडियो जारी किया और इस घटना के बारे में बताया.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

वीडियो में उसने आरोप लगाया कि वहां सिर्फ क्रिसमस नहीं मनाया जा रहा था, बल्कि ‘सामूहिक धर्म परिवर्तन’ किया जा रहा था.

उसने आरोप लगाया, “ईसाई मिशनरीज हमारे हिंदू भाइयों को बरगला रही हैं, और उन्हें लालच देने की कोशिश कर रही हैं ताकि वे लोग ईसाई धर्म अपना लें.”

वीडियो में राकेश दावा करता है कि, “हम उस जगह गए और उन्हें यह बताने की कोशिश की कि उन्हें शहीदी दिवस मनाना चाहिए... वे लोग हिंदू परंपराओं और त्योहारों से दूर क्यों रहते हैं... लेकिन जब वे लोग नहीं समझे तो हमारे और उनके बीच छोटी सी हाथापाई हो गई. इसलिए हमने शुद्धिकरण के लिए हनुमान चालीसा बजा दिया.” राकेश ने आखिरी में धमकी भरे अंदाज में कहा, “इसे साफ शब्दों में बजरंग दल की चेतावनी समझें. अगर दोबारा ऐसा होता है तो हम अच्छी तरह से तुमसे निपटेंगे. इस बार तो हमने तुम लोगों से कुछ नहीं कहा, लेकिन अगली बार हम तुम्हें छोड़ेंगे नहीं.”

द क्विंट से बातचीत में गुरुदेव और उनके परिवार ने सामूहिक धर्म परिवर्तन के उनके सभी दावों से इनकार किया.

गुरुदेव ने कहा,

“उस दिन हमारे बच्चे मिलकर नाच-गा रहे थे. फिर वहां आने वाले सभी लोग ईशू के अनुयायी थे. तो धर्म बदलने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता.”

वहां मौजूदा लोगों ने कहा कि इस घटना के बाद उनके बच्चे ‘सदमे’ में हैं.

8 साल के समर्थ मेहरा ने कहा, “वो लोग वहां आकर चिल्लाने लगे और सबसे कहा कि डांस रोक दो. यह सब बहुत डरावना था.”

कुरुक्षेत्र पुलिस ने भी इस बात से इनकार किया कि वहां धर्म परिवर्तन का कोई सबूत मिला है. कुरुक्षेत्र की सेक्टर 5 पुलिस चौकी के एसएचओ देवेन्दर कुमार ने द क्विंट को बताया, “हमने जांच की, उस दिन का सीसीटीवी फुटेज देखा. यह साफ है कि वहां किसी तरह का कोई धर्मान्तरण नहीं हो रहा था.”

लेकिन बजरंग दल के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई. उन्होंने कहा, “आयोजक शिकायत दर्ज नहीं कराना चाहते. ऐसे में हम क्या कर सकते हैं? किसी भी पक्ष ने कोई शिकायत नहीं दर्ज कराई.

'अगर आप ईसा मसीह पर कोई कार्यक्रम करते हैं तो हम उसे जय श्रीराम के साथ खत्म करेंगे'

कुरुक्षेत्र की ही तरह पटौदी के एसबीडी स्कूल के क्रिसमस कार्यक्रम में भी हुड़दंग मचाया गया. इस कार्यक्रम में बच्चों का नाटक और डांस होना था. यह 21 साल पुराना एक प्राइवेट स्कूल है.

लेकिन कुरुक्षेत्र की तरह वहां अनजान लोगों का झुंड नहीं पहुंचा. बल्कि स्कूल के ठीक सामने रहने वाले एक शख्स ने यह कारनामा किया.

(पटौदी में एसबीडी स्कूल के सामने पांडे का घर है)

(फोटो: फातिमा खान/द क्विंट)

इस हादसे के वीडियो में कुछ लोग स्टेज पर खड़ी महिलाओं को बोलने से रोक रहे हैं और “भारत माता की जय” के नारे लगा रहे हैं.

इस हमले की अगुवाई करने वाला आर आर पांडे हरियाणा के धर्म जागृति मिशन का कन्वीनर है. द क्विंट पांडे से उसके घर पर मिला जोकि उसका ऑफिस भी है और जहां वह अपने ‘क्लाइंट्स’ से मिलता है. वह ज्योतिषी है.

पांडे ने कहा,

“मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि मैंने ही उन मिशनरीज के खिलाफ मोर्चे की अगुवाई की थी. ये लोग दूसरे राज्यों से यहां आए हैं और दलित परिवारों को खाना और पैसे का लालच दे रहे हैं.”

(आर आर पांडे ने शान से बताया कि उसने क्रिसमस के जश्न में खलल पैदा की)

(फोटो: शिव कुमार मौर्या/द क्विंट)

हमने पूछा कि क्या उसके पास इस बात का सबूत है कि वहां लोगों का धर्म बदला जा रहा था तो पांडे ने कहा कि उसके पास ऐसा कोई सबूत तो नहीं, लेकिन वह कहता है, “मैंने अपनी आंखों से देखा था कि वे लोग हल्लिलूय्याह चिल्ला रहे थे और जादू टोना कर रहे थे. वे लोग अलग-अलग कपड़ों में जीसस की भक्ति के गाने नहीं गा सकते. हम जीसस का सम्मान करते हैं लेकिन यह भगवान राम की धरती है.”

दिलचस्प बात यह है कि पांडे का संगठन, धर्म जागृति मिशन, उसके अपने हिसाब से, "हिंदू धर्म और इसके विभिन्न पहलुओं के बारे में ज्ञान फैलाने" का काम करता है. हमने पूछा कि ऐसे में दूसरे लोग दूसरे धर्मों का संदेश क्यों नहीं पहुंचा सकते- तो पांडे ने ऐसी किसी भी बराबरी से इनकार कर दिया.

जवाब था-

“ऐसी कोई बराबरी कैसे हो सकती है? आप राम की कोई तुलना नहीं कर सकतीं, जोकि दूसरों के लिए एक ऐतिहासिक आदर्श हैं. अगर कोई ईसा मसीह के नाम पर कोई कार्यक्रम करता है तो हम पक्का करेंगे कि उसका अंत जय श्रीराम से हो.”

इस कार्यक्रम के आयोजक रवि कुमार ने इस आरोप को खारिज किया कि वहां कोई धर्मान्तरण हो रहा था. उन्होंने कहा, “यह पूरी तरह से फर्जी खबर है जिसे डर का माहौल बनाने के लिए फैलाया जा रहा है. हम तो बस त्योहार मना रहे थे, जो सारी दुनिया में मनाया जाता है.”

स्कूल के मालिक श्रीकांत ने भी इस बात से इनकार किया कि इस कार्यक्रम में किसी का धर्म नहीं बदला जा रहा था.

उन्होंने कहा,

“कार्यक्रम के आयोजकों ने मुझसे अनुरोध किया और मैं शाम को दो घंटे स्कूल को किराए पर देने के लिए तैयार हो गया. ऐसा भलमनसाहत से किया गया था. इसका स्कूल, उसके स्टाफ या स्टूडेंट्स से कोई लेना-देना नहीं है. लेकिन अब लोग ऐसे आरोपों से स्कूल को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं.”

पांडे के अलावा एक और स्थानीय व्यक्ति स्कूल के परिसर में घुसा था और वह है बीजेपी का पूर्व सदस्य नरेंद्र पहाड़ी.

पहाड़ी कथित रूप से संघ परिवार से जुड़ा हुआ है. बीजेपी से टिकट न मिलने के बाद उसने स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर पिछला विधानसभा चुनाव ल़ड़ा था. उसे 24,000 वोट मिले थे और वह बीजेपी उम्मीदवार से ही हार गया था. फिर पार्टी ने उसे छह साल के लिए सस्पेंड कर दिया.

द क्विंट से बात करते हुए पहाड़ी ने आरोप लगाया कि “दलितों को ईसाई बनाने का षडयंत्र बहुत गहरा है.”

नरेंद्र पहाड़ी कहता है,

“मैं खुद भी दलित हूं. मैं आपको बता सकता हूं कि क्रिश्चियन मिशनरीज दलितों को पैसा और खाना देकर ललचाती हैं और उन्हें अपने धर्म में कनवर्ट करती हैं. उस दिन उन लोगों ने सिर्फ एक समय का खाना खिलाने को कहा था और इतने सारे लोग आ गए. सोचिए, अगर उन्होंने पैसा देने की बात कही हो. बिल्कुल, वे लोग अपना धर्म बदल लेंगे.”

(नरेंद्र पहाड़ी बीजेपी का पूर्व सदस्य है)

(फोटो: शिव कुमार मौर्या/द क्विंट)

पटौदी पुलिस के मुताबिक, इस संबंध में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है.

अंबाला में ईसा मसीह की मूर्ति तोड़ी गई, चर्च ने षडयंत्र का आरोप लगाया

क्रिसमस के अगले दिन सुबह हरियाणा में एक और तकलीफदेह घटना हुई. अंबाला का होली रीडिमर चर्च ईसा मसीह के बड़े से बुत के लिए जाना जाता है. यह चर्च 1843 में बना था. अक्सर राहगीर इस बुत पर मोमबत्ती जलाते और प्रार्थना करते हैं.

रविवार को जब चर्च के पादरी वहां पहुंचे तो देखा कि जिस कांच के बॉक्स में बुत लगा हुआ था, वह टूटा हुआ है. मूर्ति को तोड़ा गया है. सीसीटीवी फुटेज देखने पर पता चला कि दो लोग आधी रात को चर्च में घुसे, चर्च में पेशाब किया और मूर्ति को तोड़ा, फिर 1.40 मिनट पर वहां से निकल गए.

(अंबाला के चर्च में ईसा मसीह की मूर्ति को तोड़ा गया)

(फोटो- द क्विंट)

दो दिन बाद अंबाला पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया जिनके लिए कहा गया कि शराब के नशे में उन्होंने यह अपराध किया. हालांकि पुलिस का कहना है कि शुरुआत जांच में यह ‘हेट क्राइम’ नहीं लगता लेकिन वह मामले की तफ्तीश कर रही है.

फिर भी चर्च का कहना है कि मामला इतना साधारण नहीं है. चर्च के पादरी पैट्रिस मुंडु ने आरोप लगाया है कि “क्रिसमस की रात ईसा मसीह की पवित्र मूर्ति पर हमला एक बड़ा षडयंत्र लगता है. यह इत्तेफाक नहीं हो सकता. साफ है कि यह किसी के इशारे पर किया गया है.”

चर्च अंबाला कैंट में है और कैंट एरिया अपनी कड़ी सुरक्षा के लिए जाने जाते हैं. चर्च का कहना है कि यह गुंडागर्दी एक "भयानक इशारा" करती है.

मुंडु कहते हैं, “अगर ईसा मसीह की मूर्ति कैंट एरिया में महफूज नहीं तो कहां होगी?”

(पैट्रिस मुंडु आरोप लगाते हैं कि अंबाला हमला एक बड़ी साजिश का हिस्सा है)

(फोटो- शिव कुमार मौर्या/द क्विंट)

यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम ने एक बयान जारी कर कहा है कि 2021 भारत में "ईसाइयों के लिए सबसे हिंसक वर्ष" था. इस साल उनके खिलाफ अपराध 75 प्रतिशत बढ़ गए हैं. 2020 में हिंसा के 279 मामले थे, और 2021 में 486.

एक्टिविस्ट और दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की पूर्व सदस्य अनास्तासिया गिल के मुताबिक, "इन हमलों को धर्मांतरण विरोधी बिल के लिहाज से देखें और यह देखें कि किस तरह देश भर में बड़े पैमाने पर कहर बरपाया जा रहा है. ईसाइयों पर ये हमले खास तौर से डराने वाले हैं और इससे वे लोग और कमजोर-बेबस महसूस करेंगे."

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT