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iPhone बनाने वाली कंपनी एपल 1 ट्रिलियन डॉलर यानी 1 लाख करोड़ डॉलर की कंपनी बन चुकी है. इसका मतलब ये समझिए कि इंडोनेशिया की साल भर की जीडीपी के बराबर. इस आंकड़ों को छूने वाली एपल पहली कंपनी बन गई है.
साल 1976 में बनी इस कंपनी का रेवेन्यू शुरुआत में ज्यादातर मैक कम्प्यूटर्स और आइपॉड पर ही निर्भर था, साल 2007 में आईफोन के लॉन्चिंग के बाद कंपनी का रेवेन्यू तेजी से बढ़ता गया. फिलहाल, एपल दुनिया की सबसे कीमती कंपनी है, दूसरे नंबर पर अमेजन और तीसरे पर गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट है.
एपल कंपनी के आकार का अंदाजा आप इस उदाहरण से लगा सकते हैं. हाल ही में भारत करीब 2.6 ट्रिलियन डॉलर की GDP के साथ फ्रांस को पीछे छोड़ दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बना.
एपल इनसाइडर की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने 2018 की तीसरी तिमाही में कुल 4.18 आईफोन बेचे हैं. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि साल-दर-साल आधार पर एपल की सेल्स ग्रोथ रेट 3 फीसदी हो सकती है. कंपनी ने इस फाइनेंशियल ईयर की तीसरी तिमाही में 53.3 बिलियन डॉलर का रेवेन्यू हासिल किया है, जोकि एक साल पहले की तिमाही की तुलना में 17 फीसदी अधिक है. बताया जा रहा है कि इस तिमाही में एपल को सबसे ज्यादा रेवेन्यू सर्विसेज से मिला है, जिसमें एपल म्यूजिक, आईक्लाउड और एपल केयर शामिल है.
इतना ही नहीं बाकी कंपनियों की तुलना में एपल अपने आईफोन पर कई गुना ज्यादा मार्जिन कमाती है. रिसर्च फर्म काउंटर प्वाइंट की पिछले साल की एक रिपोर्ट बताती है कि आईफोन ने अपने हर आईफोन की बिक्री पर औसतन 9,600 रुपये का मुनाफा कमाया है.
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