advertisement
चीन के साथ सीमा पर तनाव के बीच, सशस्त्र बल अपने हेरॉन यूएवी को लेजर-गाइडेड बमों और एंटी टैंक मिसाइलों से लैस करने के लिए एक प्रस्ताव पर जोर दे रहे हैं.
दरअसल, प्रोजेक्ट चीता नाम के प्रस्ताव को लंबे समय तक लंबित रहने के बाद सशस्त्र बलों ने पुनर्जीवित किया है. इससे सरकार का 3,500 करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्चा होने की संभावना है.
सशस्त्र बलों ने दुश्मन के स्थानों और स्टेशनों पर नजर रखने और जरूरत पड़ने पर उन्हें बाहर निकालने के लिए ड्रोन को मजबूत निगरानी और सैनिक सर्वेक्षण वाले पेलोड से लैस करने का प्रस्ताव दिया है.
थल सेना और वायु सेना ने लद्दाख सेक्टर में सीमा के पास वाली जगहों पर ड्रोन्स को तैनात किया है. ये ड्रोन चीन की सेना के पीछे हटने के दावों का सत्यापन करने में भी मदद कर रहे हैं.
एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि अपग्रेड किए गए यूएवी का इस्तेमाल पारंपरिक सैन्य अभियानों के साथ-साथ भविष्य में आतंकवाद-रोधी अभियानों के लिए भी किया जा सकता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)