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अर्णब गोस्वामी के खिलाफ केस कैसे बंद हुआ था, और अब कैसे खुला?

अब एक सवाल है कि सबूतों के अभाव में जब कोई केस बंद होता है तो उसे दोबारा खोलने के प्रोटोकॉल क्या हैं? 

अंकिता सिन्हा
भारत
Updated:
अर्णब केस : ‘A’ Summary के तहत बंद केस पुलिस दोबारा खोल सकती है?
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अर्णब केस : ‘A’ Summary के तहत बंद केस पुलिस दोबारा खोल सकती है?
(फोटो: alteredByQuint)

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5 मई 2018 को अन्वय नाइक ने अलीबाग में सुसाइड कर लिया था, उनकी मां भी घर में मृत पाई गईं थीं. इस केस को रायगड पुलिस ने दोबारा खोल लिया है और रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी को खुदकुशी के लिए उकसाने के केस में गिरफ्तार किया है. अब एक सवाल है जो सोशल मीडिया पर लगातार पूछा जा रहा है कि सबूतों के अभाव में जब कोई केस बंद होता है तो उसे दोबारा खोलने के प्रोटोकॉल क्या हैं?

अप्रैल 2019 में अलीबाग डिविजन के डिप्टी एसपी ने सबूत की कमी का हवाला देते हुए ‘A’ Summary रिफोर्ट फाइल की थी. 16 अप्रैल 2019 को रायगड़ के चीफ ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट ने रिपोर्ट मंजूर कर लिया और बंद करने की इजाजत दे दी.

‘A’ Summary रिपोर्ट में क्लोजर का क्या मतलब है?

किसी क्रिमिनल केस में क्लोजर रिपोर्ट तीन तरह की समरी रिपोर्ट के तहत दाखिल होते हैं-A, B और C.

  • ‘A’ समरी केस तब माना जाता है जब केस को मजिस्ट्रेट 'सही' मानता है लेकिन 'पता' नहीं लगाया जा सका हो. मतलब कि जांच के दौरान पर्याप्त सबूत नहीं मिल सके हो. एक सीनियर एडवोकेट बताते हैं कि इसके तहत भी दो कैटेगरी होती है. पहला, जहां दोषी कौन है ये पता ही न हो. दूसरा, जहां आरोपी का पता हो लेकिन उसके खिलाफ सबूत न हो.
  • ‘B’ Summary के अंदर फाइल हुए केस वो होते हैं जो दुर्भावनापूर्ण तौर पर गलत हैं और आरोपी के खिलाफ कोई सबूत न हो.
  • ‘C’ Summary क्लोजर केस ऐसे केस होते हैं जो फैक्ट्स के गलत होने से क्रिमिनिल केस फाइल हुए होते हैं या कोई सिविल शिकायत है.

एडवोकेट आभा सिंह का कहना है कि ऐसे में जब अन्वय नाइक और कुमुद नाइक की मौत का मामला और बकाए के भुगतान नहीं करने का आरोप ‘A’ समरी कैटेगरी के तहत था, तो केस को दोबारा खोला जा सकता है.

‘A’ समरी का मतलब है कि मामला सही है, गलत नहीं है, लेकिन बात ये है कि आपके पास पर्याप्त सबूत नहीं हैं. तो ऐसी स्थिति में अगर पुलिस कुछ और सबूत पाती है तो उसके पास इंवेस्टिंगेशन करने की शक्ति है, पुलिस को जांच करने से कई नहीं रोक सकता. साथ ही CrPC की धारा 173(8) पुलिस को आगे जांच करने का और मजिस्ट्रेट के समक्ष नई रिपोर्ट पेश करने का अधिकार देता है.
आभा सिंह, एडवोकेट
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अलीबाग कोर्ट के सामने पेश की गई रिमांड कॉपी में रायगड पुलिस की तरफ से लिखा गया है कि इस केस में जांच के बाद नए सबूत तो मिले ही हैं साथ ही कुछ चश्मदीद भी सामने आए हैं. पुलिस का कहना है कि आऱोपियों के बैंक अकाउंट की जांच चल रही है, इसलिए कस्टडी की जरूरत है.

फिलहाल की स्थिति ये है कि अर्णब गोस्वामी को बॉम्बे हाईकोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिली है. उन्हें अभी जेल में ही रहना होगा. अर्णब गोस्वामी की तरफ से बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई है, साथ ही ये भा अपील की गई है कि इंटीरियर डिजाइन अन्वय नाइक के सुसाइड मामले में जो उनके खिलाफ एफआईआर हुई है उसे रद्द कर दिया जाए. लेकिन कोर्ट ने अब इस मामले की सुनवाई शुक्रवार 6 नवंबर तक के लिए टाल दी है.

‘A’ Summary रिपोर्ट पर भी उठे सवाल

एडवोकेट रिजवान मर्चेंट इस केस को ‘A’ Summary रिपोर्ट के साथ बंद करने पर सवाल उठाते हैं. उनका कहना है कि जांच कर रही पहले की पुलिस टीम इसे इस कैटेगरी रिपोर्ट के साथ बंद नहीं कर सकती थी.

पुलिस ऐसा नहीं कर सकती थी. ऐसे में जब सुसाइड नोट बरामद हुआ हो और आरोपियों के नाम दिए गए हैं, चाहे वो सही हो या गलत हो, चाहे सुसाइड नोट को सूबत के माना जाए या नहीं वो ट्रायल के दौरान परखा जाना है.
रिजवान मर्चेंट, एडवोकेट

उन्होंने आगे कहा, “ इस स्थिति में केस को प्रीमैच्योर स्टेज पर क्लोज करना वो भी ‘A’ Summary के साथ जिसका मतलब है कि अपराध हुआ है लेकिन पता नहीं लग सका है, ये ऐसा मामला है जिसपर सवाल उठता है. ”

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Published: 05 Nov 2020,07:23 PM IST

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