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मेहता के समर्थन में अशोका यूनि. फैकल्टी, इस्तीफा वापस लेने की मांग

सरकार की आलोचना की वजह से प्रताप भानु मेहता का इस्तीफा?

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सरकार की आलोचना की वजह से प्रताप भानु मेहता का इस्तीफा?
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सरकार की आलोचना की वजह से प्रताप भानु मेहता का इस्तीफा?
(फोटो: Accessed By Quint)  

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अशोका यूनिवर्सिटी विवादों के घेरे में आ गई है. प्रताप भानु मेहता के यूनिवर्सिटी छोड़ने के बाद अब देश के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने भी प्रोफेसर के पद से इस्तीफा दे दिया है. मेहता और सुब्रमण्यन के समर्थन में यूनिवर्सिटी के छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं. अब अशोका की फैकल्टी भी यूनिवर्सिटी प्रशासन पर सवाल खड़े कर रही है.

यूनिवर्सिटी फैकल्टी ने वाइस-चांसलर मालबिका सरकार को भेजे अपने एक खत में कहा कि 'प्रताप भानु मेहता का जाना फैकल्टी के लिए पीड़ा का विषय है.' फैकल्टी ने अपने बयान में कहा कि इससे यूनिवर्सिटी के अकादमिक आजादी के प्रति प्रतिबद्धता और आंतरिक प्रक्रियाओं पर सवाल खड़े होते हैं.

सरकार की आलोचना की वजह से मेहता का इस्तीफा?

यूनिवर्सिटी फैकल्टी ने कहा, "मेहता के जाने के आधिकारिक ऐलान से पहले छपी मीडिया रिपोर्ट्स को पढ़कर ऐसा मुमकिन लगता है कि मेहता का इस्तीफा उनके बुद्धिजीवी और सरकार के आलोचक होने की वजह से हुआ है."

“इससे भी ज्यादा परेशान करने वाली बात ये संभावना है कि हमारी यूनिवर्सिटी प्रोफेसर मेहता को हटाने या उनसे इस्तीफा देने का निवेदन करने या उसे स्वीकार करने के दबाव में आ गई. ये अकादमिक आजादी के उन सिद्धांतों के विरुद्ध है जिस पर अशोका यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई थी.” 
अशोका यूनिवर्सिटी फैकल्टी

फैकल्टी ने यूनिवर्सिटी से निवेदन किया है कि वो प्रोफेसर प्रताप भानु मेहता से अपना इस्तीफा वापस लेने को कहे. इसके अलावा बयान में फैकल्टी की नियुक्ति और उन्हें हटाने के आंतरिक प्रोटोकॉल पर यूनिवर्सिटी से 'स्पष्टीकरण' मांगा गया है.

इस मामले को लेकर मशहूर लेखक, विचारक और प्रोफेसर अमिताभ मट्टू ने कई ट्वीट किए हैं. जिनमें उन्होंने राजनीतिक दबाव और खुद बतौर वीसी काम करने का अनुभव बताया है. उन्होंने कहा,

“अगर कोई कुलपति अपनी फैकल्टी और यूनिवर्सिटी की स्वायत्ता की रक्षा नहीं कर सकता तो उन्हें भी इस्तीफा दे देना चाहिए. 6 साल बतौर वीसी काम करने के दौरान मैंने यही सीखा. आप यूनिवर्सिटी को काफी अच्छी तरह से चला सकते हैं, लेकिन कभी भी राजनीतिक दबाव में आकर नहीं. हर राजनीतिक दल एक ही जैसा है.”

मट्टू ने कहा कि, मैं बीजेपी, कांग्रेस और जम्मू-कश्मीर के सभी क्षेत्रीय दलों से निपटा. जब वो ये जानते हैं कि दबाव काम नहीं करेगा तो वो छात्रों को उकसाते हैं या फिर मीडिया का इस्तेमाल करते हैं. मैंने अपनी फैकल्टी को लोगों से जुड़ने और सहयोग के लिए दुनियाभर में भेजा. पीओके सीटों से वंचित छात्रों को ऑफर किया. कभी भी इजाजत नहीं मांगी गई और न ही कोई स्पष्टीकरण मांगा गया. मुझे पता था कि यूनिवर्सिटी के लिए क्या अच्छा है, इसीलिए मुझे वीसी नियुक्त किया गया था.

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छात्रों का प्रदर्शन

अशोका यूनिवर्सिटी में छात्रों ने मेहता और सुब्रमण्यन के समर्थन में प्रदर्शन किया है. छात्र संगठन ने प्रताप भानु मेहता और अरविंद सुब्रमण्यन के साथ एकजुटता दिखाई है. एलुमनाई एसोसिएशन और छात्र संगठन ने यूनिवर्सिटी प्रशासन और ट्रस्टी से 'पिछले दो दिनों में हुई घटनाओं के संबंध में पारदर्शिता' की मांग की है.

छात्र संगठन ने प्रताप भानु मेहता को प्रोफेसर का पद दोबारा ऑफर करने और इस्तीफे को मेहता की सहमति से सार्वजानिक करने की मांग उठाई है.

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Published: 18 Mar 2021,09:54 PM IST

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