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प्रताप भानु मेहता और अरविंद सुब्रह्मणयम के इस्तीफे पर अशोका यूनिवर्सिटी ने गहरा खेद जताया है. इस मामले में रविवार को प्रतिक्रिया देते हुए यूनिवर्सिटी ने संस्थागत प्रक्रियाओं में कमी की बात को स्वीकार किया है.
हम इन बातों को स्वीकार करते हैं कि संस्थागत प्रक्रियाओं में कुछ कमी रही है, जिन्हें हम परामर्श के साथ सुधारने की कोशिश करेंगे. यह एकेडमिक स्वायत्ता और स्वतंत्रता के लिए हमारी प्रतिबद्धता है , जो हमेशा से अशोका यूनिवर्सिटी का मूल आदर्श रही है.
अशोका यूनिवर्सिटी के चांसलर, वाइस चांसलर और बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के अध्यक्ष के साथ-साथ प्रताप भानु मेहता और अरविंद सुब्रह्मणयम द्वारा संयुक्त रूप से बयान जारी किया गया.
अशोका यूनिवर्सिटी के छात्रों ने प्रताप भानु मेहता और अरविंद सुब्रमण्यम के इस्तीफे के विरोध में 22 मार्च से दो दिन कक्षाओं का बहिष्कार करने का फैसला किया है. साथ ही नई वाइस-चांसलर मालविका सरकार के इस्तीफे के लिए अलग से अभियान चलाने का ऐलान भी किया है.
बता दें कि प्रताप भानु मेहता यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर के पद पर नियुक्त थे. वहीं मशहूर अर्थशास्त्री अरविंद सुब्रमण्यम इक्नॉमिक्स डिपार्टमेंट में प्रोफेसर और न्यू अशोका सेंटर फॉर इक्नॉमिक पॉलिसी के फाउंडर डॉयरेक्टर थे.
प्रताप भानु मेहता ने इस्तीफा देते हुए लिखा था, "यह साफ है कि अब मेरा अशोका यूनिवर्सिटी को छोड़ने का वक्त आ गया है. एक उदार यूनिवर्सिटी के अच्छे ढंग से पनपने के लिए उदार राजनीतिक-सामाजिक माहौल की जरूरत होती है. मुझे उम्मीद है कि यूनिवर्सिटी ऐसा माहौल बनाने में अपना किरदार निभाएगी."
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