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भारतीय सेना के पूर्व अधिकारी मोहम्मद सनाउल्लाह का नाम असम NRC की फाइनल लिस्ट में नहीं आया है. हालांकि सनाउल्लाह ने अभी भी उम्मीद नहीं छोड़ी है. उन्होंने कहा है, ''मुझे भरोसा है कि जब हाई कोर्ट से मुझे न्याय मिलेगा, तो मेरा नाम NRC में आ जाएगा. सनाउल्लाह ने कहा है कि ऐसे मामले, जिनमें परिवार के किसी सदस्य का नाम NRC में आया हो और किसी सदस्य का नाम नहीं आया हो, उनकी समीक्षा की जानी चाहिए.''
रिटायर्ड जूनियर कमिशन्ड ऑफिसर (JCO) मोहम्मद अजमल हक ने अंग्रेजी अखबार द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया था, ''सनाउल्लाह का जन्म साल 1967 में असम में हुआ था. वह 1987 में सेना में शामिल हुए थे. 2017 में रिटायर होने के बाद वह बॉर्डर पुलिस में शामिल हो गए.''
इसके साथ ही अजमल ने बताया था, ''एक सुनवाई के दौरान, सनाउल्लाह ने गलती से सेना में शामिल होने का साल 1978 बता दिया था. इस गलती के आधार पर फॉरनर्स ट्राइब्यूनल ने उन्हें विदेशी घोषित कर दिया. उसकी दलील थी कि कोई भी 11 साल की उम्र में सेना में शामिल नहीं हो सकता.''
असम NRC में असम में रहने वाले भारतीय नागरिकों के नाम हैं. 31 अगस्त को पब्लिश हुई NRC की आखिरी लिस्ट में असम में रह रहे 19,06,657 लोगों को जगह नहीं मिली है. NRC का मकसद अवैध आव्रजकों (माइग्रेंट्स) की पहचान करना है.
मौजूदा NRC में जगह पाने के लिए 1951 के NRC या 24 मार्च, 1971 तक मतदाता सूची/स्वीकार्य दस्तावेजों में आवेदक/आवेदकों के परिजनों का नाम होने की शर्त तय की गई थी. स्वीकार्य दस्तावेजों में जन्म प्रमाण पत्र, रिफ्यूजी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, भूमि रिकॉर्ड, सिटिजनशिप सर्टिफिकेट, पीआरसी, पासपोर्ट, एलआईसी पॉलिसी, सरकारी लाइसेंस या प्रमाण पत्र, एजुकेशनल सर्टिफिकेट और कोर्ट के रिकॉर्ड्स आदि शामिल थे.
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