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राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) की अंतिम सूची जारी होने के अगले दिन रविवार को असम में इस ऐतिहासिक दस्तावेज के संदर्भ में विभिन्न मतों वाले लोगों ने अपने विचार साझा किए. असम समझौता होने के 34 सालों बाद राज्य में यह दस्तावेज जारी किया गया है. जहां कुछ लोग चाहते हैं कि केंद्र और राज्य सरकार जल्द से जल्द अवैध विदेशियों की पहचान की प्रक्रिया पूरी कर उन्हें निर्वासित कर दे, वहीं कुछ अन्य लोगों ने सूची से निकाले गए लोगों के लिए मानवीय पहलू देखने की अपील की.
हालांकि 31 अगस्त को जारी की गई एनआरसी की अंतिम सूची से 19,06,657 लोगों को निकाल दिया गया है, फिर भी उन लोगों को न हिरासत में लिया गया और न ही विदेशी घोषित किया गया है. सूची से निकाले गए लोगों को इस सूची के खिलाफ विदेशियों से संबंधित अधिकरण और उसके बाद उच्च अदालतों में अपील करने के लिए 120 दिनों का समय दिया गया है. एनआरसी की अंतिम सूची में 3,11,21,004 लोगों को शामिल किया गया है, जिन्हें उनके दस्तावेजों के आधार पर वैध पाया गया है.
प्रसिद्ध विचारक हीरेन गोहैन ने कहा, ‘‘सरकार एनआरसी पर राजनीति करने की कोशिश कर रही है. हालांकि, एनआरसी पार्टी राजनीति से ऊपर है. हमें लंबी और थकाऊ प्रक्रिया के बाद एनआरसी मिली है. यह शत-प्रतिशत सही नहीं है, फिर भी एक संख्या के करीब पहुंचे हैं. ऐसी प्रक्रिया के बारे में शिकायत करना सही नहीं है.’’
गोहैन ने सभी लोगों से सूची से निकाले गए लोगों के साथ मानवीयता दिखाने की भी अपील की.
शिक्षाविद उदयादित्य भराली ने भी एनआरसी का स्वागत करते हुए कहा कि इतना बड़ा अभियान होने के कारण कुछ समस्याएं जरूर रही होंगी. भराली ने कहा, ‘‘एनआरसी ने कम से कम असम के लोगों को अवैध विदेशियों के प्रति रुख तो स्पष्ट बता दिया है.’’
उन्होंने सभी लोगों से राज्य की शांति के लिए खतरनाक गतिविधियों से दूर रहने की अपील की है. सीनियर पत्रकार हैदर हुसैन ने कहा कि एनआरसी के बाद असम के लोगों के पास कम से कम अवैध विदेशियों से संबंधित एक संख्या तो है.
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