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अगस्ता वेस्टलैंड मामले में कथित बिचौलिया क्रिश्चियन मिशेल को भारत लाकर क्या मोदी सरकार अपना राजनीतिक मकसद साध सकती है? क्या वह विधानसभा चुनावों में इसका लाभ ले सकती है? मिशेल ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि उसे एक डील साइन करने के लिए कहा गया था, जिसमें कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ बातें थीं, लेकिन उसने इस डील को ठुकरा दिया था.
सवाल ये है कि अब मोदी सरकार मिशेल से ऐसा क्या उगलवा लेगी या मिशेल ऐसा क्या बयान दे देगा, जिससे कांग्रेस को नुकसान हो जाएगा और बीजेपी चुनावों में अपनी इमेज और चमका लेगी.
मोदी सरकार मिशेल के प्रत्यर्पण को लेकर जिस तरह अपनी पीठ थपथपा रही है और इसे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के नेतृत्व में किया गया ऑपरेशन बता रही है, उससे यही संदेश जाता है कि वह कांग्रेस को घेरने की भरपूर कोशिश में है.
पीएम मोदी ने राजस्थान में के पाली में एक चुनावी सभा में मिशेल को लेकर कहा, "वो इंग्लैंड का नागरिक था, दुबई में रहता था, हथियारों का सौदागर था, हेलिकॉप्टर खरीदने-बेचने में दलाली का काम करता था, दुबई में राजनेताओं की सेवा-सुश्रुषा करता था. भारत सरकार उसको दुबई से उठाकर ले आई है. अब ये राजदार राज खोलेगा. पता नहीं बात कहां तक पहुंचेगी, कितनी दूर तक पहुंचेगी.''
जेम्स क्रिश्चियन मिशेल के खिलाफ आरोप है कि उसने अगस्ता वेस्टलैंड और भारतीय अधिकारियों के बीच सौदे में बिचौलिये का काम किया. अगस्ता वेस्टलैंड को वीवीआईपी हेलिकॉप्टर सौदा दिलाने के लिए उसने कथित तौर पर कुछ टॉप इंडियन ब्यूरोक्रेट्स और नेताओं को रिश्वत दी. इस सौदे में इटली के नागरिक गुइदो हशके भी शामिल था.
कहा जा रहा है कि सौदे के बारे में मिशेल की एक डायरी में एपी और फैमिली का जिक्र है, जिन्हें कमीशन के तौर पर कई लाख यूरो दिए.
इसी कथित डायरी के आधार पर कांग्रेस को घेरा जा रहा है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या मिशेल ऐसा कुछ बताएगा, जिससे बीजेपी कांग्रेस को घेर सकती है?
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