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अयोध्या विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पूरी हो चुकी है. कोर्ट ने 40वें दिन की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. पीठ ने अयोध्या भूमि विवाद मामले में संबंधित पक्षों को ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’ (राहत में बदलाव) के मुद्दे पर लिखित दलील दाखिल करने के लिये तीन दिन का समय दिया है.
आखिरी सुनवाई के दौरान बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष द्वारा हिंदू पक्ष की तरफ से जमा दस्तावेज फाड़ दिए जाने की वजह से माहौल गरम रहा. यह पांच जजों की बेंच के सामने किया गया, जिसकी अध्यक्षता चीफ जस्टिस रंजन गोगोई कर रहे थे.
सुनवाई के 40वें दिन अखिल भारतीय हिंदू महासभा की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने एक किताब और कुछ दस्तावेज के साथ विवादित भगवान राम के जन्म स्थान की पहचान करते हुए एक पिक्टोरियल जमा किया.
मुस्लिम पक्ष की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने दस्तावेज के रिकॉर्ड में नहीं होने की बात कहते हुए आपत्ति जताई. अदालत में दस्तावेज को फाड़ने की पांच न्यायाधीशों की पीठ से अनुमति मांगते हुए धवन ने कहा-
इसके बाद धवन ने नक्शे के टुकड़े-टुकड़े कर दिए. उन्होंने विकास सिंह की ओर से मामले से जुड़ी एक किताब जमा करने के प्रयास पर भी आपत्ति जताई.
मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने आखिरी सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष की ओर से दिए गए नक्शे को फाड़कर फेक दिया. इस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कड़ी प्रतिक्रिया दी.
चीफ जस्टिस गोगोई ने पाया कि यह सुनवाई के अनुकूल वातावरण नहीं है, खास तौर से मुस्लिम पक्ष का व्यवहार. अदालत के भीतर मामलों की स्थिति पर अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा, "जहां तक हम समझते हैं, बहस खत्म हो गई हैं."
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