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अयोध्या (Ayodhya) में आयोजित हो रहे राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा (Pran Pratishtha) कार्यक्रम की तैयारियां जोरों पर हैं. राम भक्तों का उत्साह चरम पर है. वहीं दूसरी ओर 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस में सक्रिय भूमिका निभाने वाले कुछ कारसेवक श्री राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों के रवैये और प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के कथित राजनीति को लेकर नाराज हैं.
22 जनवरी 2024 को हो रहे कार्यक्रम के लिए उन तक निमंत्रण भी नहीं पहुंचा है.
1992 में कारसेवकों के एक दल का नेतृत्व करने वाले 55 वर्षीय संतोष दुबे राम मंदिर निर्माण से प्रसन्न हैं लेकिन उनकी अपनी शिकायतें भी हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अध्यक्ष मोहन भागवत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी और आरएसएस के कई बड़े नेता प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं.
कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में हो रही कथित राजनीति का हवाला देते हुए जनवरी 22 के कार्यक्रम से दूरी बना ली है. 1992 में कार सेवक संतोष दुबे के नेतृत्व में योगदान देने वाले उनके साथी रवि शंकर पांडे का भी मानना है यह प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम आने वाले 2024 लोकसभा चुनाव से प्रभावित है.
कार सेवक बिंदू सिंह के चाचा विश्व हिंदू परिषद के बड़े नेता थे. श्री राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की तरफ से कारसेवक बिंदु को 22 जनवरी की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण भी आया है. 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के पास सुरक्षा बलों के साथ अपनी तस्वीर को दिखाते हुए बिंदु सिंह कहती हैं कि उस समय उनका बेटा मात्र 25 दिन का था. जो घटना हुई उसकी यादें अभी भी उनकी आंखों के सामने ताजा हैं.
कारसेवक रविशंकर पांडे बताते हैं कि बाबरी मस्जिद विध्वंस की पूरी योजना पहले से तैयार थी. मस्जिद को तोड़ने के लिए हथियार भी उपलब्ध कराए गए थे.
उन्होंने कहा कि, "साढ़े दस बजे के आसपास सबलोग हर हर महादेव का नारा लगाते गए, वहां पर किसी के पास सब्बल था, किसी के पास हथौड़ा था, किसी के पास रस्सा था, किसी के पास त्रिशूल था. यह सब चीजे हमें एक हफ्ते पहले उपलब्ध करा दी गई थी. अब केवल यही था कि हर-हर महादेव का नारा लगाकर चढ़ाई कर देनी है. हमारे साथ दुर्गा पहलवान थे, जिनकी बड़ी बुलंद आवाज थी. अगर वो सरजू जी के इस पार से बोलते थे तो दूसरे छोर एकदम साफ आवाज सुनाई देती थी. यह तय हुआ कि दुर्गा पहलवान साहब हर हर महादेव का नारा लगाएंगे. जैसे आक्रमण होता है, ठीक वैसे ही सब दौड़े. जो भी सामने आया सबको हटाया गया. डरा करके, धमका करके सबको भगाया गया."
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