advertisement
आजम खान (Azam Khan) 27 महीने और 23 दिन बाद जेल से बाहर आ गए. शिवपाल यादव उन्हें लेने के लिए सीतापुर जेल पहुंचे थे, लेकिन 3 दिन बीत जाने के बाद भी अखिलेश यादव और आजम खान की मुलाकात नहीं हुई. अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने आजम खान की रिहाई पर ट्वीट से ही काम चलाया और कहा कि सपा के वरिष्ठ नेता व विधायक आजम खान जी के जमानत पर रिहा होने पर उनका हार्दिक स्वागत है. झूठ के लम्हे होते हैं सदियां नहीं. अब सियासी पंडितों की नजर आजम के अलगे कदम पर है. क्या आजम खान और अखिलेश यादव के बीच दरार और बढ़ सकती है? एसपी का 'MY' समीकरण दरकता दिख रहा है?
आजम खान जेल से रिहा होने के बाद सीतापुर में अपने करीबी पूर्व विधायक अनूप गुप्ता के घर पहुंचे. वहां समर्थकों से भी मुलाकात की. इस दौरान वो भावुक भी हुए. हालांकि इससे पहले आजम खान के साथ जेल से बाहर आते हुए शिवपाल यादव के एक बयान ने सबका ध्यान खींचा. उन्होंने कहा, आजम खान हमारे साथी हैं.
सवाल ये भी उठता है कि आखिर आजम खान ऐसा क्यों करेंगे. दरअसल, पिछले कुछ दिनों से आजम के करीबियों ने आरोप लगाया कि पार्टी के लिए खून पसीना बहने वाले मुस्लिम नेता की रिहाई के लिए अखिलेश यादव ने कोई प्रयास नहीं किया. बेटे अब्दुल्ला आजम ने भी कई बार इशारों-इशारों में नाराजगी जाहिर की है. जेल से बाहर आने के बाद आजम खान ने कहा, मैं नाराज होने की हैसियत में नहीं हूं. मैं तो एक गरीब आदमी हूं. मुझे जो प्रोटेक्शन मिला है, वह न्यायपालिका से मिला है. इसलिए जो मुझ से जेल में मिलने आए और जो किसी वजह से नहीं आए, मैं दोनों का शुक्रिया अदा कर रहा हूं. इस दौरान आजम खान ने कहा कि मैं किसी पर कमेंट नहीं कर रहा हूं.
शिवपाल यादव के अलावा बीएसपी सुप्रीमो मायावती भी आजम खान के लिए हमदर्दी जता चुकी हैं. उन्होंने ट्वीट कर कहा था, यूपी व अन्य बीजेपी शासित राज्यों में कांग्रेस की ही तरह जिस प्रकार से टारगेट करके गरीबों, दलितों, आदिवासियों एवं मुस्लिमों को जुल्म-ज्यादती का शिकार बनाकर उन्हें परेशान किया जा रहा है यह दुखद है.
मायावती ने यूपी चुनाव में हार का ठीकरा मुस्लिम वोटरों के सिर फोड़ा था. उन्होंने कहा था, बीजेपी को हराने के लिए मुस्लिमों ने अपनी आजमाई हुई पार्टी बीएसपी से छोड़कर एसपी को वोट दे दिया. उनके इस गलत फैसले से हमें बहुत नुकसान हुआ. अब शायद आजम खान के लिए हमदर्दी दिखाकर वो उन्हीं मुस्लिम वोटर्स को साधने की कोशिश में हैं.
यूपी की राजनीति में आजम खान एक कद्दावर मुस्लिम चेहरा माने जाते हैं. शिवपाल यादव के अलावा जेल के अंदर कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णम ने भी उनसे मुलाकात की थी. तमाम पार्टियों के नेताओं को इस बात की भनक लग चुकी है कि अखिलेश-आजम के बीच कुछ तो गड़बड़ है. राजनीतिक पार्टियां इसी का फायदा उठाने में लगी हैं, जिससे की अखिलेश यादव के MY समीकरण को डेंट लग सकता है.
आजम खान को अपने पाले में लाने के लिए कौन क्या कर रहा है. इसकी बात तो हो गई, लेकिन खुद आजम खान क्या चाहते हैं? जेल से बाहर आने के बाद उनकी एक्टिविटी से समझा जा सकता है. बाहर आने के बाद उन्होंने अपने बयानों में किसी एक पार्टी या नेता को निशाने पर नहीं लिया. हमलावर नहीं हुए. फिर चाहे अखिलेश यादव हो. बीजेपी हो या फिर दूसरी पार्टियां.
आजम खान से पूछा गया कि क्या वो मुस्लिमों का चेहरा बनकर राजनीति का नया विकल्प दे सकते हैं. इसपर उन्होंने कहा, इस वक्त मेरे लिए बीजेपी, बीएसपी या कांग्रेस इसलिए बहुत बड़ा सवाल नहीं है क्योंकि मेरे, मेरे परिवार और मेरे लोगों पर हजारों मुकदमे दर्ज हुए हैं. मैं बस इतना कह सकता हूं कि मेरी तबाहियों में मेरे अपने लोगों का बड़ा हाथ है. अब देखना दिलचस्प होगा कि एसपी अपने सबसे बड़े मुस्लिम चेहरे को मना पाती है या फिर आजम खान अगला कदम बढ़ा देते हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)