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देश में कोरोना के हर रोज लाखों केस आ रहे हैं. हजारों लोगों को हर दिन इसके चलते जान गंवानी पड़ती है. अस्पतालों में ऑक्सीजन, बिस्तर और दवाइयों की कमी है. फिर हर चीज में मुनाफाखोरी अपने चरम पर है.
लेकिन कुछ लोग ऐसे माहौल को नजरंदाज कर सकारात्मक रहने पर दे रहे है. ऐसे माहौल में धैर्य बनाकर रखना तो समझ में आता है, लेकिन अपने आसपास मौजूद माहौल से मुंह फेरकर हासिल होने वाली "टॉक्सिक पॉजिटिविटी" सिर्फ एक प्रिवलेज से ज्यादा कुछ नजर नहीं आती.
उन्होंने इस मंच को अपनी बात करने के लिए क्यों चुना, इस पर तो सिर्फ कयास ही लगाए जा सकते हैं, लेकिन अजीम प्रेमजी ने अपने भाषण में साफ कहा कि कोरोना से लड़ने के लिए पहले तो महामारी के प्रसार और भयावहता की सच्चाई को मानने-समझने की जरूरत है.
प्रेमजी ने कहा, "हमें पहले हर दिशा में तेजी से काम करना होगा और यह काम अच्छे विज्ञान पर आधारित होने चाहिए. जो क्रियाएं विज्ञान पर आधारित नहीं होतीं, उनका असल जिंदगी में बुरा प्रभाव पड़ता है. अच्छे विज्ञान के मूल में सच्चाई को मानने और उससे जूझने की बात आती है. इसलिए हमें इस संकट, इसकी तीव्रता, इसकी व्यापकता और इसकी गहराई से सच्चाई के साथ जूझना चाहिए"
यहां प्रेमजी ने एक तरह से कह दिया कि सिर्फ शुतुरमुर्ग की तरह सिर रेत में गड़ाने से काम नहीं चलेगा. हमें ठोस कदम उठाकर ही कोरोना से पार पा सकते हैं.
बता दें यह बातें आरएसएस से जुड़ी कोविड रिस्पांस टीम की तरफ से आयोजित लेक्चर सीरीज में कही गईं. इन बातों को दूरदर्शन पर हर हफ्ते प्रसारित भी किया जाता है.
इस कार्यक्रम में प्रेमजी के अलावा श्री श्री रविशंकर और विवेकानंद केंद्र, कन्याकुमारी की उपाध्यक्ष निवेदिता रघुनाथ भिड़े ने भी अपना संबोधन दिया.
अध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर ने अपने संबोधन में नेगेटिव इंफॉर्मेशन से दूर रहने और भगवान को याद करने की बात कही.
विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी की उपाध्यक्ष निवेदिता रघुनाथ ने अपने संबोधन में बहुत हद तक भाग्वादी होने की सलाह दी.
निवेदिता ने कहा, "हमारे प्रियजन हमसे कोविड के कारण बिछड़ गए हैं, लेकिन ये सिर्फ इस जन्म के लिए है. अगले जन्म में हम उनसे मिलने वाले हैं. हम जितना दुखी रहेंगे, हम उनकी आत्मा को दुखी करने वाले हैं. हमें मृत्यु का डर नहीं है, हम मृत्युंजय हैं. अगर ऐसे आत्मविश्वास से हम इसका सामना करते हैं तो हम जीतेंगे ही."
उन्होंने आगे कहा इस पॉजिटिविटी सेशन के दौरान कहा कि, हम निश्चित जीतेंगे. क्योंकि ये जो भारत देश है वो साधारण नहीं है. इसने कई संकटों का सामना किया है. जब दूसरी लहर आई तो शुरू में हम लड़खड़ाए, लेकिन अब हम संगठित हो रहे हैं. जो मुश्किलें आती हैं, उनमें अवसर छिपा होता है.
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