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2014 से 2021 के बीच सबसे ज्यादा नेता BJP में शामिल, कांग्रेस का छोड़ा हाथ

2014 के बाद से लोकसभा और विधानसभा के दौरान पार्टी बदलकर फिर चुनाव लड़ा.

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विधायक और सांसद चुनाव जीतने के बाद पार्टी छोड़कर सत्ताधारी पार्टी में क्यों शामिल हो जाते हैं?
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विधायक और सांसद चुनाव जीतने के बाद पार्टी छोड़कर सत्ताधारी पार्टी में क्यों शामिल हो जाते हैं?
(फोटोः The Quint)

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नेशनल इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के मुताबिक 2014 से 2021 के बीच हुए चुनावों के दौरान अन्य पार्टियों से बीजेपी में शामिल होने वाले उम्मीदवारों की संख्या सबसे ज्याद रही. वहीं सबसे ज्यादा 222 उम्मीदवार यानि 20% ने कांग्रेस (INC) का साथ छोड़ा. जबकि चुनाव लड़ने वाले 153 उम्मीदवार यानि 14% ने दूसरी पार्टियों में शामिल होने के लिए बीएसपी (BSP) का साथ छोड़ा.

वहीं 2014 से 2021 के बीच फिर चुनाव लड़ने 253 उम्मीदवार यानि 22% ने पार्टी बदलकर बीजेपी (BJP) को जॉइन किया. इसके बाद 115 यानि 10% उम्मीदवार कांग्रेस के साथ जुड़े और 65 यानि 6% उम्मीदवार बीएसपी में शामिल हुए.

नेशनल इलेक्शन वॉच और एडीआर (ADR) ने मिलकर 1133 उम्मीदवारों और 500 सांसदों/विधायकों के शपथपत्रों का विश्लेषण किया, जिन्होंने 2014 के बाद से लोकसभा और विधानसभा के दौरान पार्टी बदलकर फिर चुनाव लड़ा.

कितने सांसदों और विधायकों ने पार्टी बदली?  

ये तो बात हुई उम्मीदवारों की. अब बात सांसदों/विधायकों की करें तो सबसे ज्यादा 177 यानि 35% सांसदों/विधायकों ने कांग्रेस पार्टी छोड़ी और किसी दूसरी पार्टी में शामिल हुए. जबकि 33 यानि 7% सांसदों/विधायकों ने बीजेपी का साथ छोड़ा.

वहीं 500 में से 173 यानि 35% सांसदों/विधायकों अपना दल बदल कर बीजेपी को जॉइन किया. इसके बाद 61 यानि 12% सांसद/विधायक कांग्रेस के साथ जुड़े और 31 यानि 6% सांसद/विधायक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए.

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एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार 60 उम्मीदवार और 18 सांसदों/विधायकों ने समाजवादी पार्टी (SP) का साथ छोड़ा और 29 उम्मीदवार और 13 सांसद/विधायक इसमें शामिल हुए. इसके अलावा 31 उम्मीदवार और 26 सांसद/विधायक तृणमूल कांग्रेस से अलग हुए. वहीं जनता दल यूनाइटेड के 59 उम्मीदवार और 12 सांसदों/विधायकों ने पार्टी छोड़ी और 23 उम्मीदवार और 12 सांसद/विधायक पार्टी में शामिल हुए.

इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय जनता दल के 20 उम्मीदवारों और 11 सांसदों-विधायकों ने बीते सात सालों के दौरान पार्टी से किनारा किया. इसी अवधि में 15 उम्मीदवार और छह सांसद-विधायक दूसरे दलों से आरजेडी में आए. इसी तरह, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने अपने 52 उम्मीदवार और 25 विधायक-सांसद खोए और 41 उम्मीदवार और आठ सांसद-विधायक उसमें शामिल हुए.

सीपीआई की बात करें तो 13 उम्मीदवारों और 2 सांसदों/विधायकों ने पार्टी छोड़ी 5 उम्मीदवारों ने पार्टी जॉइन की. सीपीएम से 13 उम्मीदवार और 6 सांसदों/विधायकों ने पार्टी तो अलविदा कहा और केवल एक उम्मीदवार ही पार्टी में शामिल हुआ.

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