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त्रिपुरा में बुधवार को बीजेपी (BJP) और सीपीआई (एम) के बीच हुई झड़प के बाद मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के करीब आठ कार्यालयों में आगजनी और तोड़-फोड़ की गई. पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार सहित सीपीआई (एम) के नेताओं का आरोप है कि इसके लिए सत्ताधारी पार्टी बीजपी के कार्यकर्ता जिम्मेदार हैं. हालांकि बीजेपी नेताओं ने इन आरोपों को नकारा है. ये हिंसक घटनाएं अगरतला और राज्य के तीन अन्य जिलों में हुई है.
हालांकि झड़प की वजह पूरी तरह साफ तो नहीं हुई लेकिन बताया यह जा रहा है कि जब सीपीआई (एम) की यूथ विंग ने गोमती जिले के उदयपुर में रैली निकाली, उस दौरान बीजेपी कार्यकर्ताओं का एक समूह वहां मौजूद था और सीपीआई (एम) के कार्यकर्ताओं ने उन पर हमला कर दिया था जिसके बाद बवाल बढ़ गया.
कई स्थानीय अखबार जैसे प्रतिबाडी कलाम और सीपीआई (एम) का दैनिक देशेर कथा साथ ही पीबी24 और स्थानीय टीवी चैनल पर भी कथित तौर पर हमला हुआ और पत्रकार घायल भी हुए.
हिंसक घटना की निंदा करते हुए सीपीआई (एम) ने ट्विटर पर आगजनी और तोड़फोड़ की तस्वीरें साझा की हैं.
पार्टी के संयोजक बिजन धर ने मीडिया से कहा कि "मंत्रियों, राज्य विधानसभा के उपाध्यक्ष और भाजपा के वरिष्ठ नेता अपने पार्टी कार्यकर्ताओं और सदस्यों से विपक्षी पार्टी के सदस्यों और उनके कार्यालयों पर हमले जारी रखने का आग्रह कर रहे हैं."
धर ने आगे बताया कि 'भाजपा के गुंडों' ने पार्टी कार्यालयों में पूर्व मुख्यमंत्री दशरथ देब और अन्य दिवंगत पार्टी नेताओं की प्रतिमा और तस्वीरों को नुकसान पहुंचाया है.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक बयान में त्रिपुरा पुलिस मुख्यालय ने बताया कि तीन जगहों से शुरुआती रिपोर्ट्स आई हैं जहां झड़प हुई हैं. इस बीच एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उदयपुर जिले में झड़प के दौरान माफिज मियां के घायल होने के बाद केस दर्ज किया गया है और दो लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है.
इस बीच, बीजेपी प्रवक्ता नबेंदु भट्टाचार्जी ने कहा कि माणिक सरकार खुद त्रिपुरा के विभिन्न हिस्सों में, शांतिपूर्ण राज्य में अराजकता पैदा करने के लिए हिंसा भड़का रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि जब बीजेपी सदस्य और नेता अगरतला और राज्य के अन्य हिस्सों में रैलियां कर रहे थे, तो सीपीआई (एम) कार्यकर्ताओं ने उन पर पथराव किया."
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