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वीडियो एडिटर: संदीप सुमन
वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी
भीमा कोरेगांव संग्राम की 201वीं बरसी पर होने वाले कार्यक्रम में हिस्सा लेने बड़ी संख्या में दलित समुदाय के लोग इकट्ठा हो रहे हैं. हर साल पुणे से सटे भीमा कोरेगांव में 1 जनवरी को शौर्य दिवस मनाया जाता है.
1 जनवरी, 2018 को दो समुदाय के बीच हिंसा भड़की थी. लेकिन इस बार शौर्य दिवस का प्रोग्राम शांतिपूर्वक हो, इसलिए एहतियात बरते गए हैं और सुरक्षा के मद्देनजर कई कदम उठाए गए हैं.
भीमा कोरेगांव की हिंसा जहां सबसे पहले भड़की, उस वडु-बुद्रक गांव को पुलिस ने छावनी में तब्दील कर दिया है. इस गांव में हिंसा के बाद कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया था. आपको बता दें कि ये वही गांव है, जहां संभाजी महाराज की समाधि है. गांव में मराठा समाज का बहुत बोलबाला है.
क्विंट से बात करते हुए पुलिस आईजी विश्वास नागरे पाटिल ने कहा कि गांव में आने वाले हर नागरिक की सुरक्षा का खयाल रखा जाएगा, इसका पूरा प्लान तैयार किया गया है. भीमा कोरेगांव में दर्शन के बाद जो लोग वडु गांव आना चाहते हैं, उनके लिए शटल बस सर्विस शुरू की गई है, जिससे आने-जाने में कोई असुविधा न हो.
1 जनवरी के प्रोग्राम के मद्देनजर पुणे और अहमदनगर से आने वाले लोगों के लिए ट्रैफिक भी डाइवर्ट रहेगा. जो इस प्रोग्राम के लिए आना चाहते हैं, उन्हें ही आने दिया जाएगा. वही ड्रोन कैमरा सीसीटीवी की मदद और सोशल मीडिया पर भी पुलिस नजर बनाए रखेगी. उत्तेजित मैसेज भेजने वालों पर कार्रवाई करने की सूचना दे दी गई है.
1 जनवरी, 1818 के दिन ब्रिटिश सेना के 834 सैनिकों और पेशवा बाजीराव द्वितीय की मजबूत सेना के 28,000 जवानों के बीच युद्ध हुआ था, जिसमें मराठा सेना पराजित हो गई थी. अंग्रेजों की सेना में ज्यादातर दलित महार समुदाय के लोग शामिल थे.
अंग्रेजों ने बाद में भीमा कोरेगांव विजय-स्तंभ बनाया. दलित समुदाय के लोग इसे ऊंची जातियों पर अपनी विजय का प्रतीक मानते हैं. यहां नए साल पर 1 जनवरी को पिछले 200 साल से सालाना समारोह आयोजित होता रहा है.
दलित समाज से जुड़े कई नेताओं को सभा की जानकारी है, जिसमें केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले, प्रकाश अम्बेडकर, आनंदराज अम्बेडकर शामिल हैं. उधर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को भीम आर्मी सेना प्रेसिडेंट चंद्रशेखर आजाद को बड़ा झटका देते हुए उनकी पुणे में आयोजित सभा पर रोक लगा दी है.
भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के एक साल बाद होने वाले शौर्य दिवस से पहले क्विंट की टीम जब यहां हालात का जायजा लेने पहुंची, तो लोगों में भाईचारे की भावना देखने को मिली.
हमारी मुलाकात हुई अमित बोर्डे से, जिनकी दुकान को पिछले साल हुई हिंसा में दंगाइयों ने अपना निशाना बनाया था. अमित कहते हैं, ‘‘हम हिंसा की घटना को बुरे सपने की तरह देखते हैं. उसे याद करके कोई फायदा नहीं, आगे बढ़ना होगा.”
कुछ इसी तरह की भावना पिछले साल यहां पहुंचे दलित युवाओं में भी देखने को मिली थी.
नागपुर से भीमा कोरेगांव पहुंचे तुषार ने कहा, ‘‘बाबासाहेब ने सभी को समान हक दिया है. देश में भाईचारा बढ़ना चाहिए और हम भी यही संदेश सभी को देने लिए यहां पहुंचे हैं.’’
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