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भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में जून 2018 में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार होने से तीन महीने पहले एक्टिविस्ट रोना विल्सन (Rona Wilson) के फोन में जासूसी स्पाइवेयर पेगासस (Pegasus spyware) मौजूद था. द गार्डियन के रिपोर्ट के अनुसार एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा रोना विल्सन के फोन के फोरेंसिक एनालिसिस के बाद यह जानकारी सामने आई है.
गौरतलब है कि इजरायली साइबर हथियार बनाने वाली कंपनी एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पाइवेयर ने वैश्विक स्तर पर इस साल तब सुर्खियां बटोरी थीं, जब जुलाई में मीडिया हाउसों के एक संघ ने सनसनखेज रिपोर्टों को पब्लिश किया था.
एमनेस्टी इंटरनेशनल, जो 'पेगासस प्रोजेक्ट' की जांच का एक हिस्सा था, ने फोरेंसिक एनालिसिस के बाद सबूत पाया है कि रोना विल्सन का फोन जुलाई 2017 और मार्च 2018 के बीच पेगासस से संक्रमित था.
इससे पहले भी अमेरिका के मैसाचुसेट्स स्थित डिजिटल फोरेंसिक फर्म आर्सेनल कंसल्टिंग की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों के खिलाफ पुलिस द्वारा जब्त किए गए “सबूत” उनके लैपटॉप पर मैलवेयर की मदद से प्लांट किये गए थे.
एमनेस्टी इंटरनेशनल की सिक्योरिटी लैब में टेक्नोलॉजिस्ट Etienne Maynier के अनुसार, उनके एनालिसिस ने आर्सेनल के निष्कर्षों की पुष्टि की है कि विल्सन के फोन में जुलाई 2017 में पेगासस अटैक किया गया और फिर फरवरी और मार्च 2018 में भी.
एमनेस्टी ने पाया कि इसके दौरान रोना विल्सन के फोन को 15 SMS के साथ टारगेट किया गया था जिसमें पेगासस हमले के लिंक थे. इनमें से किसी एक पर क्लिक करने से फोन पेगासस से संक्रमित हो सकता था.
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